भारत के इतिहास में भारत-पाकिस्तान विभाजन एक ऐसा अध्याय है, जिसने देश की आत्मा को गहराई से झकझोरा. लाखों परिवार बिछड़ गए, करोड़ों लोग विस्थापित हुए और हजारों जिंदगियां लहूलुहान हो गईं. आजादी के 78 साल बाद भी उस दर्द की गूंज सुनाई देती है. अब राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने इस काले अध्याय को नई पीढ़ी तक सच्चाई के साथ पहुंचाने की पहल की है. इसके लिए ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर एक खास शैक्षिक मॉड्यूल जारी किया गया है.
क्या है इस नए मॉड्यूल की खासियत?
इस मॉड्यूल को विभाजन के अपराधी शीर्षक दिया गया है. इसे दो हिस्सों में बांटा गया है एक कक्षा 6 से 8 के लिए और दूसरा कक्षा 9 से 12 के लिए. खास बात यह है कि यह किसी भी क्लास की अनिवार्य किताब का हिस्सा नहीं होगा बल्कि पूरक शैक्षणिक सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. इसका मकसद छात्रों को इतिहास को सिर्फ रटने के बजाय उसे समझना और उस पर सोचने के लिए प्रेरित करना है. इसे पढ़ाने के तरीके भी बेहद दिलचस्प रखे गए हैं. इसमें पोस्टर बनाना, निबंध लिखना, रोल-प्ले, बहस और समूह चर्चा जैसे रचनात्मक तरीके शामिल होंगे. यानी छात्र सिर्फ सुनेंगे नहीं, बल्कि अपनी भागीदारी से इतिहास को जीएंगे.
किसे ठहराया गया जिम्मेदार?
मुहम्मद अली जिन्ना – जिन्होंने पाकिस्तान की मांग को सबसे पहले आगे बढ़ाया.
कांग्रेस – जिसने अंततः इस मांग को स्वीकार कर लिया.
लॉर्ड माउंटबेटन – जो तत्कालीन भारत के आखिरी वायसराय थे और जिनके हाथों विभाजन लागू हुआ. मॉड्यूल में यह भी बताया गया है कि विभाजन सिर्फ एक राजनीतिक फैसला नहीं था, बल्कि यह लाखों लोगों के जीवन और सपनों को तोड़ने वाला फैसला था.
नेहरू का ऐतिहासिक भाषण
इस मॉड्यूल में पंडित जवाहरलाल नेहरू का जुलाई 1947 का भाषण भी शामिल किया गया है. उन्होंने कहा था “विभाजन बुरा है, लेकिन एकता की कीमत चाहे जो भी हो, गृहयुद्ध की कीमत उससे कहीं ज्यादा होगी. यह कथन उस दौर की मजबूरियों और परिस्थितियों को स्पष्ट करता है. एक तरफ देश आजादी के उत्सव की तैयारी कर रहा था और दूसरी तरफ बंटवारे के दर्द से जूझ रहा था.
विभाजन की असल तस्वीर
विभाजन के दौरान लगभग 6 लाख लोग मारे गए.
करीब 1.5 करोड़ लोग अपने घरों से उजड़ गए.
पंजाब और बंगाल जैसे समृद्ध प्रांतों की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई.
जम्मू-कश्मीर को ऐसी अस्थिरता की ओर धकेला गया, जिसने आगे चलकर आतंकवाद का रूप लिया.
क्यों जरूरी है यह मॉड्यूल?
इस मॉड्यूल का उद्देश्य सिर्फ इतिहास को पढ़ाना नहीं, बल्कि उसे महसूस कराना है. छात्र जब रोल-प्ले या बहस में हिस्सा लेंगे, तो वे समझ पाएंगे कि उस दौर में फैसले कितने कठिन रहे होंगे. साथ ही, यह भी सीखेंगे कि एक गलत फैसला किस तरह आने वाली पीढ़ियों के लिए लंबे समय तक जख्म छोड़ सकता है.
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