वॉशिंगटन डीसी/ इस्लामाबाद18 मिनट पहले
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अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को सूट पहनने वाला ओसामा बिन लादेन बताया है।
उन्होंने कहा कि मुनीर के परमाणु धमकी वाले हालिया बयान से पाकिस्तान गुंडा राज्य जैसा व्यवहार कर रहा है। असीम मुनीर ने पिछले हफ्ते अमेरिका के टेम्पा शहर में अमेरिकी सैन्य अधिकारियों से मुलाकात के दौरान कहा था कि

पाकिस्तान एक न्यूक्लियर स्टेट है, पाकिस्तान डूबा तो आधी दुनिया को अपने साथ ले डूबेगा।
रुबिन ने इस बयान की तुलना आतंकी संगठन ISIS और ओसामा बिन लादेन के खतरनाक बयानों से की।
पाकिस्तान का सहयोगी का दर्जा खत्म करने की मांग
रुबिन ने अमेरिकी सरकार से पाकिस्तान से प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा तुरंत छीन लेने के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला देश घोषित करने पर विचार करना चाहिए।
नाटो देशों के अलावा जिन देशों के साथ अमेरिका के अमेरिका के रक्षा संबंध हैं। उन्हें वह प्रमुख प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा देता है।
रुबिन ने असीम मुनीर को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर अमेरिका का वीजा देने पर पाबंदी लगाने की मांग की है। रुबिन ने यह भी कहा कि जब मुनीर ने ये बयान दिया, तो उसी वक्त उन्हें मीटिंग से बाहर निकालकर टाम्पा एयरपोर्ट भेजकर देश से बाहर कर देना चाहिए था।
भारत बोला- परमाणु धमकी देना पाकिस्तान की पुरानी आदत
आसिम मुनीर की परमाणु धमकी पर सोमवार को भारत ने जवाब दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा- परमाणु हथियार की धमकी देना पाकिस्तान की पुरानी आदत है। भारत न्यूक्लियर ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा। हमें अपनी सुरक्षा करना आता है।
सिंधु जल समझौते पर बिलावल की भारत को जंग की धमकी
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत को युद्ध की धमकी दी है। बिलावल ने कहा है कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित रखा तो पाकिस्तान के पास जंग के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
भुट्टो ने सोमवार को सिंध प्रांत की सरकार के एक कार्यक्रम में कहा,

मोदी सरकार के कदमों ने पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया है। हमें एकजुट होकर इन आक्रामक नीतियों का जवाब देना होगा।
भुट्टो ने दावा किया कि पाकिस्तान के लोग छह नदियों को वापस लेने के लिए जंग करने में सक्षम हैं।
इससे पहले आर्मी चीफ मुनीर ने भी धमकी दी थी कि अगर भारत सिंधु नदी के पानी पर कोई बांध बनाता है, तो पाकिस्तान उसे 10 मिसाइलों से उड़ा देगा।
भारत-पाकिस्तान के बीच का सिंधु जल समझौता क्या है?
सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 नदियां हैं- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज। इनके किनारे का इलाका करीब 11.2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 47% जमीन पाकिस्तान, 39% जमीन भारत, 8% जमीन चीन और 6% जमीन अफगानिस्तान में है। इन सभी देशों के करीब 30 करोड़ लोग इन इलाकों में रहते हैं।
1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से ही भारत के पंजाब और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच नदियों के पानी के बंटवारे का झगड़ा शुरू हो गया था। 1947 में भारत और पाक के इंजीनियरों के बीच ‘स्टैंडस्टिल समझौता’ हुआ। इसके तहत दो मुख्य नहरों से पाकिस्तान को पानी मिलता रहा। ये समझौता 31 मार्च 1948 तक चला।
1 अप्रैल 1948 को जब समझौता लागू नहीं रहा तो भारत ने दोनों नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की 17 लाख एकड़ जमीन पर खेती बर्बाद हो गई। दोबारा हुए समझौते में भारत पानी देने को राजी हो गया।
इसके बाद 1951 से लेकर 1960 तक वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत पाकिस्तान में पानी के बंटवारे को लेकर बातचीत चली और आखिरकार 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के PM नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच दस्तखत हुए। इसे इंडस वाटर ट्रीटी या सिंधु जल संधि कहा जाता है।
भारत ने इस समझौते को रद्द किया
भारत ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के दूसरे दिन 24 अप्रैल को पाकिस्तान के साथ 65 साल पुराना सिंधु जल समझौता रोक दिया था। इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे।

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