Wednesday, November 19, 2025
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RBI का कदम संतुलित, पर घरों की मांग को गति देने को रेपो दर में और कटौती जरूरी: रियल एस्टेट


Real Estate - India TV Paisa

Photo:FILE रियल एस्टेट

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को अमेरिकी शुल्क को लेकर अनिश्चितता के बीच प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 5.5 प्रतिशत पर कायम रखने का निर्णय किया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रियल एस्टेट कंपनियों और डेवलपर्स का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक का नीतिगत दर (रेपो) को यथावत रखने का निर्णय एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है, लेकिन घरों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए त्योहारों के दौरान रेपो दर को कम करने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नीतिगत दर में पहले की गई कटौती से आवासीय संपत्तियों की मांग को बनाए रखने में मदद मिली है। 

होम लोन सस्ता होने से घरों की मांग बढ़ी

क्रेडाई (कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर जी पटेल ने कहा कि केंद्रीय बैंक का निर्णय एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसका उद्देश्य वैश्विक अनिश्चितताओं एवं अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों व वार्ताओं के उभरते परिदृश्य के बीच अर्थव्यवस्था को सहारा देना है। उन्होंने कहा कि पहले की गई ब्याज दरों में कटौती ने आवास क्षेत्र में मजबूत मांग को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रियल एस्टेट क्षेत्र के शीर्ष निकाय नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के अध्यक्ष जी. हरि बाबू ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के चालू वित्त वर्ष में रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखना एक स्वागतयोग्य कदम है। उन्होंने कहा, हालांकि, हमारा मानना है कि रियल एस्टेट क्षेत्र को और मजबूती देने के लिए रेपो दर को 5.5 प्रतिशत से नीचे लाया जाना चाहिए और आरबीआई को अगली एमपीसी बैठक में इसे कम करने पर विचार करना चाहिए। 

लोन और सस्ता होने से घरों की मांग बढ़ेगी 

अंतरिक्ष इंडिया के सीएमडी राकेश यादव ने कहा कि आरबीआई की आज की पॉलिसी से पहले रेपो रेट में तीन बार लगातार कटौती हुई है। इससे होम लोन सस्ता हुआ है और लोगों पर ईएमआई का बोझ कम हुआ है। इसका फायदा होम बायर्स और रियल एस्टेट सेक्टर दोनों को मिला। होम बायर्स को सस्ते लोन का तोहफा मिला है। वहीं, लोन सस्ता होने से घरों की मांग बढ़ी है। अगर अगली मौद्रिक पॉलिसी जो 29 सिंतबर से 1 अक्टूबर तक होगी में रेपो रेट में एक बार और कटौती होती है तो इससे रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा बूस्ट मिलेगा। त्योहारी सीजन में घरों की मांग बढ़ाने में बड़ी मदद मिलेगी जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार को तेज करने का काम करेगा। 

बाजार में स्थिरता को मजबूत करेगा 

गंगा रियल्टी के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, विकास गर्ग ने कहा कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर बनाए रखने का फैसला बाजार में स्थिरता को मजबूत करता है — जो कि आज की आर्थिक स्थिति में घर खरीदारों और बिल्डरों दोनों के लिए बेहद अहम है। लग्जरी हाउसिंग सेगमेंट में, जहां खरीदारों की उम्मीदें और निवेश की रकम दोनों ज्यादा होती हैं, वहां ब्याज दरों में स्थिरता से लोगों का भरोसा बना रहता है और खरीददारी में तेजी बनी रहती है। इससे लंबी अवधि की फाइनेंशियल प्लानिंग आसान होती है, जिससे आम खरीदार और निवेशक दोनों बाजार में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। यह फैसला आवासीय बाजार, खासकर शहरों और नए उभरते क्षेत्रों में, लोगों की दिलचस्पी को बनाए रखने में मदद करेगा। कुल मिलाकर, इस तरह की स्थिर मौद्रिक नीति रियल एस्टेट सेक्टर को स्पष्ट दिशा और मजबूती देती है, जिससे यह क्षेत्र टिकाऊ रूप से आगे बढ़ सके।”

मानसूम सीनियर लिविंग के सह-संस्थापक, अनंतनारायण वरयूर ने कहा कि आरबीआई का रेपो दर को 5.5% पर बनाए रखने का निर्णय वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाने के लिए एक सतर्क दृष्टिकोण को दर्शाता है। जबकि दर में कटौती अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान कर सकती थी, FY26 के लिए 6.5% की अपरिवर्तित जीडीपी वृद्धि पूर्वानुमान एक स्थिर आर्थिक दृष्टिकोण का सुझाव देता है। 

लोन की ईएमआई कम हुई 

सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) के चेयरमैन, प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट को वर्तमान स्तर पर बनाए रखने का निर्णय स्थिर मुद्रास्फीति के बीच आर्थिक सुधार को समर्थन देने के उसके संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है। लगातार तीन बार रेपो रेट में कटौती के बाद ऋण लेने की लागत में उल्लेखनीय कमी आई है, और वर्तमान नीति रुख यह सुनिश्चित करता है कि ब्याज दरें किफायती स्तर पर बनी रहें। इससे उपभोक्ताओं का विश्वास कायम रहेगा और रियल एस्टेट सहित प्रमुख क्षेत्रों में जारी गति को समर्थन मिलेगा।

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