Thursday, August 21, 2025
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Strictness Broke Dream To Abroad ; Fall In Passport Apply Ministry Of External Affairs Report| Punjab | पंजाब के युवाओं में विदेश जाने का क्रेज कम हुआ: कनाडा-ऑस्ट्रेलिया में सख्ती का असर, 2025 में अब तक सिर्फ 3.60 लाख पासपोर्ट बने – Amritsar News


अमृतसर स्थित एयरपोर्ट पर लाइन में खड़े लोग। (फाइल)

पंजाब में पिछले कुछ सालों से विदेश जाने का क्रेज बहुत तेजी से बढ़ा था। चुनावों में भी इस मुद्दे पर खूब राजनीति हुई, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया समेत दूसरे देशों में सख्त हुए नियमों के चलते पंजाब से पासपोर्ट बनवाने वालों की संख्या म

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विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जनवरी से 30 जून 2025 तक पंजाब में रोजाना औसतन 1978 पासपोर्ट के लिए आवेदन आए, जो पिछले कई सालों में सबसे कम हैं। जबकि, 2024 में यह आंकड़ा रोजाना करीब 2,906 था।

पंजाब सरकार इसे अपनी सफलता बता रही है, क्योंकि उन्होंने सत्ता में आने से पहले ‘वतन वापसी’ का नारा दिया था। हालांकि, असल वजह यह भी है कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों ने वीजा और इमिग्रेशन के नियम कड़े कर दिए हैं, जिससे विदेश जाने के सपने देखने वाले युवाओं को अब रुकना पड़ रहा है।

10 सालों में सबसे अधिक गिरावट इस साल अब तक पासपोर्ट बनवाने के आंकड़ों को देखें तो स्थिति काफी बदली नजर आती है। जनवरी से जून 2025 तक राज्य में करीब 3.60 लाख पासपोर्ट बनाए गए हैं। अगर यही रफ्तार सालभर बनी रही, तो साल के अंत तक यह संख्या करीब 7.50 लाख तक पहुंचेगी, जो पिछले चार सालों में सबसे कम होगी।

इससे पहले 2021 में सबसे कम पासपोर्ट बने थे, तब सिर्फ 6.44 लाख पासपोर्ट के लिए आवेदन आए थे। हालांकि, 2021 में इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर पाबंदी और लॉकडाउन के कारण पासपोर्ट ऑफिसों का बंद रहना था। लेकिन अगर 2021 को छोड़ दें, तो बीते 10 सालों में यह सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है।

हर तीसरा व्यक्ति पासपोर्ट धारक 2014 से अब तक पंजाब में कुल 95.41 लाख पासपोर्ट बनाए जा चुके हैं, जबकि राज्य में लगभग 65 लाख घर और करीब 3 करोड़ की आबादी है। इसका मतलब यह है कि पंजाब में हर तीसरा व्यक्ति पासपोर्ट धारक है, जो दिखाता है कि विदेश जाने की इच्छा यहां कितनी ज्यादा रही है।

कनाडा में टेंशन बढ़ी, नौकरियां घटी अब सिर्फ पासपोर्ट बनवाने में ही कमी नहीं आई है, बल्कि कनाडा से लौट रहे युवाओं की संख्या भी बढ़ रही है। लौटे हुए युवाओं का कहना है कि वहां टेंशन बहुत ज्यादा है और लगातार स्ट्रेस के कारण कई लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं। कई महीनों तक नौकरी नहीं मिलती, और जब तक नौकरी मिलती है, तब तक खर्च चलाना भी मुश्किल हो जाता है।

कनाडा में अब नौकरियां भी पहले जैसी नहीं रहीं। ज्यादातर जगहों पर सिर्फ ट्रेंड स्टाफ की ही मांग है, जिससे नए या कम अनुभव वाले युवाओं को नौकरी मिलना और भी मुश्किल हो गया है। यही वजह है कि अब कई युवा या तो वापस लौट चुके हैं या लौटने का मन बना रहे हैं।

अकेले विदेश जाने वाले युवाओं में डर बढ़ा पासपोर्ट बनवाने में गिरावट की सबसे बड़ी वजह कनाडा के वीजा और इमिग्रेशन नियमों में आए बदलाव को माना जा रहा है। खासकर भारत और कनाडा के रिश्तों में आई तल्खी के बाद अब युवा वहां जाने से कतराने लगे हैं। जिनके रिश्तेदार पहले से वहां बसे हुए हैं, वही अब कनाडा जाने को लेकर इच्छुक दिखते हैं, जबकि अकेले विदेश जाने की सोच रखने वाले युवाओं में डर बढ़ा है।



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