Monday, July 21, 2025
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मानसून आते ही प्राइवेट पार्ट्स में बढ़ जाता है संक्रमण का खतरा, गंभीर समस्या बनने से पहले करें ये बचाव


बदलते मौसम के तापमान के कारण प्राइवेट पार्ट्स में बैक्टीरिया और फंगस के पनपने से यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने की पॉसिबिलिटी बढ़ जाती है. इतना ही नहीं, हवा में नमी ज्यादा होने से पसीना भी ज्यादा निकलता है, जिससे बॉडी में पानी की कमी होने लगती है. इसकी वजह से मेल और फीमेल का पीएच लेवल भी कम हो जाता है और बैक्टीरिया व फंगस का रिस्क बना रहता है.

ऐसे में जरूरी है कि मानसून के मौसम में आप अपने प्राइवेट पार्ट्स का बेहतर तरीके से ध्यान रखें, ताकि कोई वायरस या बैक्टीरिया न पनप सके. मानसून के दौरान प्राइवेट की हेल्थ को मेंटेन रखने के लिए आप यहां बताए गए कुछ सिंपल और जरूरी टिप्स को फॉलो कर सकते हैं.

मानसून में क्यों बढ़ जाती है समस्या?

मानसून में फंगल इन्फेक्शन की समस्या इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि हवा में नमी  और पसीना  ज्यादा होता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये इन्फेक्शन बॉडी के किसी भी पार्ट में हो सकते हैं, जैसे पैरों की उंगलियों के बीच, गर्दन, पीठ, अंडरआर्म्स और प्राइवेट पार्ट्स में. बारिश के मौसम में, जब बॉडी जल्दी सूख नहीं पाती, तो फंगस को पनपने के लिए परफेक्ट माहौल मिल जाता है.

अगर इन दिनों गीले या हल्के नम कपड़े ज्यादा देर तक पहने जाएं और पर्सनल हाइजीन  का ध्यान न रखा जाए, तो बैक्टीरिया और फंगस आसानी से फैल सकते हैं. फंगल इन्फेक्शन के आम लक्षणों में बार-बार खुजली, स्किन  का छिलना या फटना, कभी-कभी बदबू आना और छाले या जलन शामिल हैं. अगर समय पर ट्रीटमेंट न मिले, तो ये इन्फेक्शन फैल सकता है और दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है.

फंगल इन्फेक्शन से ऐसे करें बचाव

  • स्किन को सूखा और साफ रखें: नहाने के बाद बॉडी को अच्छी तरह से पोंछें, खासकर अंडरआर्म्स, गर्दन, पैरों के बीच और प्राइवेट पार्ट्स को. याद रखें, नमी फंगल ग्रोथ का सबसे बड़ा कारण है, इसलिए स्किन को ड्राई रखना सबसे जरूरी है.
  • ढीले और कॉटन के कपड़े पहनें: सिंथेटिक कपड़े पसीना सोख नहीं पाते और बॉडी से चिपकते हैं, जिससे स्किन में जलन और इन्फेक्शन हो सकता है. हल्के, कॉटन के और ढीले कपड़े पहनें, ताकि स्किन को हवा लगती रहे.
  • गीले कपड़े और जूते तुरंत बदलें: अगर आप बारिश में भीग जाएं, तो घर आते ही गीले कपड़े और मोजे तुरंत बदलें. गीले जूते पहनने से फंगल इन्फेक्शन, खासकर एथलीट फुट का रिस्क बढ़ता है.
  • एंटी-फंगल पाउडर या क्रीम का यूज करें: जो लोग पसीने से ज्यादा परेशान रहते हैं. उन्हें एंटी-फंगल पाउडर या डॉक्टर द्वारा सजेस्ट की गई क्रीम का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे इन्फेक्शन को बढ़ने से पहले ही रोका जा सकता है.
  • साफ-सफाई का रखें खास ध्यान: रोज नहाएं और अपने तौलिए को धूप में सुखाएं. दूसरों के तौलिया, सॉक्स या अंडरगारमेंट्स का इस्तेमाल न करें. जिम या स्वीमिंग पूल जैसी पब्लिक जगहों पर साफ-सफाई को लेकर और भी ज्यादा सावधानी बरतें.

अगर इंफेक्शन हो जाए तो क्या करें?

मानसून के सीजन में अगर इचिंग या रेडनेस लगातार लंबे टाइम तक बनी रहे, तो तुरंत ही किसी डर्मेटोलॉजिस्ट से कॉन्टैक्ट करें. बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी क्रीम या मेडिसिन इस्तेमाल न करें. कुछ क्रीम में स्टेरॉइड्स होते हैं, जो प्रॉब्लम को और बिगाड़ सकते हैं. फंगल इन्फेक्शन के ट्रीटमेंट में टाइम लगता है, इसलिए आपको सब्र भी रखना होगा और एंटीफंगल दवाओं का कोर्स पूरा करना होगा.

ये भी पढ़ें: कैसे खत्म हो जाती है घुटनों की ग्रीस? जानें इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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