दुनिया की मशहूर इलेक्ट्रिक कार कंपनी Tesla ने आखिरकार भारत में Model Y SUV लॉन्च कर दी है, लेकिन यह कार भारत में मैन्युफैक्चर नहीं की जाएगी. इसे शंघाई स्थित प्लांट से Completely Built Unit (CBU) के रूप में भारत लाया जाएगा, जिससे इस पर भारी इंपोर्ट ड्यूटी लगती है. Model Y की शुरुआती कीमत करीब 60 लाख रखी गई है, जो इसे आम भारतीय ग्राहकों की पहुंच से दूर कर देती है.
कितनी है Tesla Model Y की कीमत?
- भारत में विदेशी कारों पर Heavy import duty लगाया जाता है, जिससे Tesla Model Y की कीमत काफी बढ़ गई है. $40,000 (लगभग 34.38 लाख) तक की कारों पर 70% टैक्स और इससे महंगी कारों पर 100% टैक्स लगाया जाता है. यह टैक्स लागत, बीमा और माल ढुलाई (CIF) के आधार पर तय होता है.
- इसी कारण Model Y की कीमत लगभग 60 लाख तक पहुंच गई है, जो कि Tata Harrier.EV और Mahindra XUV.e9 जैसे भारतीय विकल्पों से कई लाख रुपये महंगी है.
- जहां Tata Harrier.EV की कीमत 21.49 लाख से 30.23 लाख और Mahindra XUV.e9 की कीमत 21.90 लाख से 31.25 लाख के बीच है, वहीं Tesla की Model Y सीधे तौर पर टाटा या महिंद्रा जैसी घरेलू ब्रांड्स से नहीं बल्कि BYD, Hyundai और Kia जैसी इंटरनेशनल कंपनियों से मुकाबला करती नजर आएगी.
Tesla से घरेलू कंपनियों पर पड़ेगा असर?
- Tesla के भारत में आने से घरेलू कंपनियों पर असर इसलिए नहीं पड़ेगा क्योंकि पहला कारण है कीमत का भारी अंतर. 60 लाख की कार लग्जरी सेगमेंट में आती है, जबकि Tata और Mahindra की इलेक्ट्रिक गाड़ियां मिड-सेगमेंट के ग्राहकों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं.
- दूसरा, Tesla ने अभी भारत में कोई लोकल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं खोली है, जिससे उसकी कारें पूरी तरह बनी हुई (CBU) आती हैं और महंगी पड़ती हैं. तीसरा, इस कीमत रेंज की कारों का कस्टमर बेस भारत में बहुत सीमित है, इसलिए Tesla की बिक्री आम ग्राहकों की पसंद पर कोई खास असर नहीं डालेगी.
टेस्ला के भारत आने से क्या बदलेगा?
- विशेषज्ञों के मुताबिक, Tesla का भारत में आना घरेलू कंपनियों के लिए एक पॉजिटिव संकेत है. इससे Tata, Mahindra, MG जैसी कंपनियां अपने इलेक्ट्रिक वाहनों में और ज्यादा इनोवेशन, बेहतर फीचर्स और ग्राहक अनुभव पर ध्यान देंगी.
- S&P Global Mobility के गौरव वंगाल का कहना है कि Tesla की एंट्री से भारतीय कंपनियों को टेक्नोलॉजी और डिजाइन में और मेहनत करने की जरूरत होगी. वहीं EY-Parthenon के सोम कपूर मानते हैं कि Tesla की गाड़ियां काफी महंगी हैं, इसलिए इससे Tata या Mahindra जैसी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी पर सीधा असर नहीं पड़ेगा.
- भारत Tesla के लिए इस समय एक जरूरी बाजार बन गया है. एक तरफ जहां दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऑटोमोबाइल बाजार में EV सेगमेंट तेजी से बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर Tesla की वैश्विक बिक्री जून तिमाही में 13.5% गिर गई है और उसे चीनी कंपनियों से कड़ी चुनौती मिल रही है. अनुमान है कि भारत का EV बाजार 2030 तक 22–25% सालाना की दर से बढ़ते हुए 10 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है.
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