केंद्र सरकार में काम करने वाले 1.2 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी और पेंशनभोगी बेसब्री से केंद्र सरकार द्वारा गठित 8वें वेतन आयोग के लागू होने का इंतजार कर रहे हैं। पहले, यह उम्मीद की जा रही थी कि अगला वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से अपना कार्यकाल शुरू करेगा, लेकिन अब ऐसा नहीं लगता है क्योंकि अभी तक सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है। हालांकि, इस बीच एक अच्छी खबर यह है कि ब्रोकरेज फर्म एंबिट कैपिटल की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनभोगी 8वें वेतन आयोग के तहत अपने वेतन में 34% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद, इनसे न केवल सरकारी कर्मचारियों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि देश में उपभोक्ता खर्च को भी जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।
क्या है फिटमेंट फैक्टर?
वेतन आयोगों के तहत वेतन, पेंशन और भत्तों में संशोधन फिटमेंट फैक्टर के आधार पर किया जाता है। यह प्रमुख गुणक सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का निर्धारण करता है। इसे महंगाई, कर्मचारियों की जरूरतों और सरकार की सामर्थ्य जैसे विभिन्न कारकों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है। वर्तमान में, केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन ढांचा 7वें वेतन आयोग के फिटमेंट फैक्टर पर आधारित है, जो 2016 में लागू हुआ था। रिपोर्ट कहती है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.83 और 2.46 के बीच हो सकता है। कर्मचारियों और पेंशनर्स को कितनी बढ़ोतरी मिलेगी, यही फिटमेंट फैक्टर अहम भूमिका निभाएगा
फिटमेंट फैक्टर का सैलरी पर असर?
मौजूदा वेतन आयोग ने 2.57 प्रतिशत का फिटमेंट फैक्टर लागू किया था। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वेतन में 2.57 गुना वृद्धि हुई है, क्योंकि इसे केवल मूल वेतन में जोड़ा गया था, जिससे यह न्यूनतम ₹18,000 हो गया था। वेतन घटक में वास्तविक वृद्धि 14.3 प्रतिशत थी। गौरतलब है कि नए आयोग की शुरुआत में महंगाई भत्ता शून्य कर दिया गया है, क्योंकि सूचकांक पुनः आधारित है। आठवें वेतन आयोग के तहत भी ऐसा ही होने की उम्मीद है। सरकारी कर्मचारियों के वेतन में मूल वेतन, महंगाई भत्ता (डीए), मकान किराया भत्ता (एचआरए) और परिवहन भत्ता शामिल होता है। कर्मचारियों का मूल वेतन उनकी कुल आय का 51.5 प्रतिशत होता है।