गुवाहाटी में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट में भी टीम इंडिया हार की कगार पर है. कोलकाता टेस्ट गंवाने के बाद सीरीज में 0-1 से पीछे चल रही भारतीय टीम अगर यह मैच हारती है तो फिर उसका सूपड़ा साफ हो जाएगा. चौथे दिन दक्षिण अफ्रीका ने भारत के सामने 549 रनों का लक्ष्य रखा. दिन का खेल खत्म होने तक टीम इंडिया ने 27 रनों पर दो विकेट गंवा दिए. साई सुदर्शन और कुलदीप यादव नाबाद लौटे. अब अंतिम दिन भारत को जीत के लिए 522 रन बनाने हैं, जो लगभग असंभव है. वहीं दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 8 विकेट लेने हैं. चौथे दिन का खेल खत्म होने के बाद अनुभवी ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में हार का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि दूसरे टेस्ट में ड्रॉ कराना युवा टीम के लिए ‘जीत’ जैसा होगा.
हम टेस्ट मैच बचाने की कोशिश करेंगे- रवींद्र जडेजा
भारत का दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो टेस्ट मैच की सीरीज गंवाना लगभग तय है, क्योंकि आखिरी दिन 549 रन का लक्ष्य हासिल करना नामुमकिन होगा. चौथे दिन का खेल खत्म होने के बाद जडेजा ने संवाददाताओं से कहा, “मुझे नहीं लगता कि इसका अगली सीरीज पर कोई असर पड़ेगा, लेकिन एक क्रिकेटर के तौर पर कोई भी सीरीज हारना नहीं चाहता, विशेषकर भारत में, इसलिए उम्मीद है कि हम अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलने की कोशिश करेंगे. हम कल अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करेंगे.”
उन्होंने आगे कहा, “हम टेस्ट मैच बचाने की कोशिश करेंगे. अगर हम सीरीज नहीं भी जीत रहे हैं तो भी हम मैच ड्रॉ कर सकें जो हमारे लिए जीत की तरह की स्थिति होगी.” जडेजा का मानना है कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज गंवाना भारतीय टीम में शामिल युवा खिलाड़ियों के लिए सीखने के लिहाज से बहुमूल्य होगा. मेजबान टीम में यशस्वी जायसवाल, साई सुदर्शन, नितीश कुमार रेड्डी, ध्रुव जुरेल और वाशिंगटन सुंदर जैसे कई युवा खिलाड़ी हैं जो अपने टेस्ट करियर के शुरुआती चरण में हैं.
‘अगर आप भारत में कोई सीरीज हार जाते हैं तो यह बहुत बड़ी बात बन जाती है’
जडेजा ने कहा, देखिए टीम में जो युवा खिलाड़ी हैं, मुझे लगता है कि वे सीखने के चरण में हैं. उनका करियर शुरू हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आप चाहे कोई भी प्रारूप खेलें, यह आसान नहीं है. आप चाहे कोई भी प्रारूप खेलें, यह हमेशा थोड़ा चुनौतीपूर्ण होता है.
जडेजा ने बताया कि जब भी कोई टीम अपने घर में हारती है तो जीतने के मुकाबले युवाओं का कम अनुभव अधिक सुर्खियां बटोरता है. उन्होंने कहा, भारत में जब ऐसी स्थिति होती है और आप टीम में तीन-चार युवा खिलाड़ियों को खिलाते हैं तो ऐसा लगता है कि पूरी टीम युवा और कम अनुभव वाली है और इसे सुर्खियां बनाया जाता है. लेकिन जब भारत स्वदेश में जीतता है तो लोग सोचते हैं कि यह कोई बड़ी बात नहीं है. अगर आप भारत में कोई सीरीज हार जाते हैं तो यह बहुत बड़ी बात बन जाती है.


