भारतीय शिक्षा बोर्ड (BSB) ने शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति और आधुनिक विज्ञान के बीच सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है. BSB के चेयरमैन डॉ एनपी सिंह ने हाल ही में अलीगढ़ में आयोजित मंडल स्तरीय संगोष्ठी में जोर देकर कहा कि बच्चों को केवल भौतिकतावादी शिक्षा तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि उन्हें वेद, गीता, उपनिषद जैसी आध्यात्मिक शिक्षाओं के साथ-साथ आधुनिक कंप्यूटर साइंस जैसे विषयों का ज्ञान भी देना चाहिए.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनपी सिंह ने कहा, ”यह नया मॉडल संस्कारयुक्त, चरित्रवान और वैज्ञानिक रूप से जागरूक पीढ़ी तैयार करने पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य छात्रों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ते हुए उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है.
शिक्षा में आई भारतीय संस्कृति और संस्कारों की कमी- एनपी सिंह
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ एन पी सिंह ने मंडल भर से आए 300 से ज्यादा स्कूलों के प्रबंधकों और प्राचार्यों और प्रतिनिधियों से विस्तार से बातचीत की. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा के प्रभाव में छात्रों का नैतिक पतन हो रहा है और शिक्षा में भारतीय संस्कृति और संस्कारों की कमी आ गई है.
अपने विद्यालयों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से जोड़ें- एनपी सिंह की अपील
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड का मूल लक्ष्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और संस्कारयुक्त बनाना है. यह बोर्ड भारतीय संस्कृति, वेद, शास्त्र, उपनिषद, गीता जैसी आध्यात्मिक शिक्षाओं को आधुनिक कंप्यूटर साइंस और प्रकृति के मूल से जोड़कर चरित्रवान नागरिक तैयार करना चाहता है. डॉ. सिंह ने सभी से अनुरोध किया कि भारत को सशक्त और विश्व गुरु बनाने के लिए अपने विद्यालयों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से जोड़ें.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मंडलायुक्त संगीता सिंह ने अपने संबोधन में माता-पिता और आदर्श शिक्षकों को बच्चों को संस्कार देने में सबसे महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा, ”हमें केवल बड़ी-बड़ी सुविधाओं वाली इमारतों के विद्यालयों की ओर ही आकर्षित नहीं होना चाहिए, बल्कि प्राचीन वैदिक संस्कृति की ओर लौटना चाहिए.” उन्होंने अभिभावकों से भारतीय शिक्षा बोर्ड से जुड़े विद्यालयों में बच्चों का प्रवेश दिलाने की अपील की.
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