
विदेशों में काम करने वाले लाखों भारतीयों के लिए बड़ी राहत की खबर है। अब उन्हें अपने परिवार तक पैसे पहुंचने के लिए घंटों या दिनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक नया प्रस्ताव जारी किया है, जिसके तहत विदेश से भेजे जाने वाले पैसों को अब पहले से कहीं तेज और आसान तरीके से भारत में लाभार्थियों के खातों में जमा किया जाएगा। इस कदम से भारत की बैंकिंग सिस्टम को ग्लोबल पेमेंट्स के स्टैण्डर्ड के बराबर लाने की कोशिश की जा रही है।
आरबीआई ने अपने पेमेंट विजन 2025 और G20 रोडमैप के तहत यह ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि जो बैंक विदेश से भुगतान प्राप्त करते हैं, उन्हें विदेशी मुद्रा बाजार के मार्केट आवर के दौरान मिले पैसों को उसी बिजनेस डे पर ग्राहकों के खातों में क्रेडिट करना होगा। अगर पैसे बाजार बंद होने के बाद आते हैं, तो उन्हें अगले वर्किंग डे पर ट्रांसफर करना होगा। फिलहाल भारत में सिर्फ 8-10% विदेशी रेमिटेंस एक घंटे के भीतर लाभार्थी के खाते में पहुंचते हैं, जबकि अमेरिका जैसे देशों में यह आंकड़ा 75% तक है। आरबीआई के इस कदम से भारत की पेमेंट सिस्टम इंटरनेंशनल लेवल पर तेज और भरोसेमंद बनेगी।
क्यों होती है देरी?
अक्सर देरी इसलिए होती है क्योंकि भारतीय बैंक विदेशी बैंकों के नोस्ट्रो खाते के एंड-ऑफ-डे स्टेटमेंट के जरिए पेमेंट की पुष्टि करते हैं। इन खातों में पहले पैसा पहुंचता है और फिर ग्राहक के भारतीय खाते में भेजा जाता है। इस प्रक्रिया में देरी और मैन्युअल चेकिंग के कारण पैसा देर से मिलता है। अब RBI ने सुझाव दिया है कि बैंक अपने नोस्ट्रो खातों का मिलान “near real-time” या अधिकतम हर 30 मिनट में करें। इसके अलावा, आरबीआई ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि वे ‘straight-through automated system’ का उपयोग करें जिससे इंसानी गलती और देरी कम हो सके। साथ ही, बैंक अपने ग्राहकों को रेमिटेंस की स्थिति रीयल-टाइम में देखने के लिए वेबसाइट या ऐप भी उपलब्ध कराए।
RBI का स्पष्ट आदेश
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि बैंक ग्राहकों को पैसे की प्राप्ति की जानकारी तुरंत दें। अगर पेमेंट मार्केट आवर के बाद आए तो अगले वर्किंग डे की शुरुआत में सूचना दी जाए। आरबीआई ने बैंकों और अन्य हितधारकों से इस ड्राफ्ट पर 19 नवंबर तक फीडबैक मांगा है। अंतिम सर्कुलर जारी होने के छह महीने बाद ये नए नियम लागू किए जाएंगे।


