Saturday, August 16, 2025
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वित्त मंत्रालय ने दो-स्तरीय GST दर ढांचा प्रस्तावित किया, रोजमर्रा की वस्तुओं पर घटेगा टैक्स बोझ, जानें पूरी बात


वित्त मंत्रालय पहुंचने पर गाड़ी से उतरतीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।- India TV Paisa

Photo:PTI वित्त मंत्रालय पहुंचने पर गाड़ी से उतरतीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।

वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को मंत्रिमंडल की एक समिति (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) को दो-स्तरीय जीएसटी दर संरचना का प्रस्ताव दिया है, जिसमें कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर विशेष कर दरें भी शामिल हैं। यह कदम सरकार की “नेक्स्ट जनरेशन” GST सुधार योजना का हिस्सा है, जिसका मकसद इस वित्तीय वर्ष में रोजमर्रा की इस्तेमाल की वस्तुओं पर टैक्स का बोझ कम करना है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, केंद्र ने राज्य वित्त मंत्रियों की एक समिति को यह सुझाव दिया है कि जीएसटी सिस्टम को सिर्फ दो स्लैब में बांटा जाए- ‘स्टैंडर्ड’ और ‘मेरिट’। इसके अलावा, कुछ खास वस्तुओं पर विशेष दरें भी लागू की जाएंगी, जिन्हें स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में ‘नेक्स्ट जनरेशन’ जीएसटी सुधार की घोषणा की थी, जिसमें छोटे उद्योगों को लाभ देने के साथ कर बोझ में कमी का आश्वासन दिया गया था।

वर्तमान में है चार स्तर वाली जीएसटी व्यवस्था

मौजूदा समय में जीएसटी की चार स्तर वाली कर व्यवस्था है- 5%, 12%, 18%, और 28%, जिसमें आवश्यक वस्तुओं को करमुक्त या कम दर पर टैक्स लगता है, जबकि लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं पर सबसे ज्यादा जीएसटी दर लागू होती है। इन वस्तुओं पर अतिरिक्त क्षतिपूर्ति सेस भी लगाया जाता है। क्षतिपूर्ति सेस 31 मार्च 2026 को खत्म हो रही है, जिसके बाद जीएसटी काउंसिल को इन वस्तुओं पर नए कर निर्धारण के लिए योजना बनानी होगी।

जीएसटी काउंसिल, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करती हैं, सितंबर में इस प्रस्ताव पर चर्चा करेगी। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इस प्रस्ताव को जल्द से जल्द लागू करने के लिए प्रयास किए जाएंगे ताकि वित्तीय वर्ष के दौरान इसके लाभ आम लोगों तक पहुंच सकें।

सुधार तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित होगा

वित्त मंत्रालय का कहना है कि यह सुधार तीन मुख्य स्तंभों — संरचनात्मक सुधार, दरों का समायोजन और जीवन में सुगमता पर आधारित होगा। इसमें आम वस्तुओं और आकांक्षात्मक वस्तुओं पर करों में कटौती, स्लैब की संख्या कम करके दो सरल दरें तय करना, और कुछ वस्तुओं पर विशेष दरें शामिल हैं, जो उपभोग बढ़ाने और वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ाने में मदद करेंगी। सुधारों से कर वर्गीकरण से जुड़ी विवादित स्थितियों में कमी आएगी, उलटा कर ढांचे को ठीक किया जाएगा, कर दरों में स्थिरता आएगी, और व्यापार के लिए बेहतर माहौल बनेगा। इससे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को मजबूती मिलेगी और विकास को बढ़ावा मिलेगा।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन और रिटर्न फाइलिंग आसान होगा

तकनीकी सुधारों के तहत छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन और रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाया जाएगा। निर्यातकों और उल्टे टैक्स वाले मामलों में रिफंड प्रक्रिया को तेज और स्वचालित किया जाएगा। वित्त मंत्रालय ने कहा कि क्षतिपूर्ति सेस के खत्म होने से वित्तीय संसाधनों में वृद्धि हुई है, जिससे जीएसटी दरों को पुनः व्यवस्थित करने की क्षमता बढ़ी है। केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर सहयोगात्मक संघवाद के तहत इस सुधार को लागू करने के लिए काम कर रही है।

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