आजकल थायरॉयड की बीमारी बहुत आम हो चुकी है, लेकिन इसके शुरुआती लक्षणों को अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं. यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर के मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा के लेवल और स्किन तक पर असर डाल सकती है. गले में मौजूद तितली के आकार की यह ग्रंथि हार्मोन बनाती है, जो हमारे शरीर के कई जरूरी कामों को कंट्रोल करती है. लेकिन जब यह ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती है, तो पूरा शरीर प्रभावित होता है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि अगर कौन से लक्षण दिखें तो आपको समझ जाना चाहिए कि थायरॉयड बढ़ रहा है और आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
क्या है थायरॉयड?
थायरॉयड ग्रंथि गले के निचले हिस्से में होती है और यह हार्मोन T3 और T4 बनाती है. यह हार्मोन शरीर की ऊर्जा, दिल की धड़कन और तापमान को कंट्रोल करते हैं. वहीं थायरॉयड से जुड़ी तीन प्रमुख आम समस्याएं होती है, जिनमें पहले हाइपोथायरॉयडिज्म होती है, जिसमें ग्रंथि कम हार्मोन बनाती है. दूसरी हाइपरथायरॉयडिज्म होती है, इसके अंदर ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन बनाती है और तीसरी थायरॉयड नोड्यूल या कैंसर होता है, जिसमें ग्रंथि में गांठ या ट्यूमर बन जाता है।
थायरॉयड के सबसे आम लक्षण
बेचैनी और घबराहट
अगर आपको बिना किसी वजह से घबराहट या बेचैनी महसूस होती है, तो यह थायरॉयड ग्रंथि की ज्यादा सक्रियता का संकेत हो सकता है. इस कंडीशन में शरीर का मेटाबॉलिज्म में तेज हो जाता है जिससे नर्वसनेस और स्ट्रेस बढ़ने लगता है.
मूड स्विंग्स और हाथों में कंपन
हाइपरथायरॉयडिज्म के मरीजों में अक्सर मूड स्विंग की इस समस्या देखी जाती है. इसके साथ ही हाथों में हल्का कंपन भी महसूस हो सकता है. यह हाशिमोटो एन्सेफैलोपैथी जैसी दुर्लभ कंडीशन से भी जुड़ा हो सकता है.
बिना वजह वजन बढ़ाना
अगर आपका वजन अचानक बढ़ने लगे, जबकि आपकी डाइट और रूटीन में कोई बदलाव न हो तो, इसका कारण थायरॉयड ग्रंथि की कमजोरी हो सकता है. इस कंडीशन में थायरॉयड हार्मोन की कमी के कारण शरीर की ऊर्जा खर्च करने की क्षमता घट जाती है.
थायरॉयड का इलाज
अगर आपको थायरॉयड के लक्षणों में से कुछ भी लगातार महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए.थायरॉयड का इलाज TSH, T3 और T4 टेस्ट से किया जाता है.इसके बाद मरीज की कंडीशन के अनुसार डॉक्टर दवाइयां, रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी या सर्जरी की सलाह देते हैं.वहीं डॉक्टर थायरॉयड को कंट्रोल करने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव की भी सलाह देते हैं, जिनमें संतुलित और आयोडीन युक्त आहार लेना शामिल होता है. इसके अलावा नियमित एक्सरसाइज, स्ट्रेस कम करना और धूम्रपान या शराब से बचाना भी शामिल होता है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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