उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में औद्योगिक विकास और निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए दो बड़ी नीतियों का प्रस्ताव पेश किया है। इसमें एक ओर जहां “एमएसएमई औद्योगिक आस्थान प्रबंधन नीति” के ज़रिए औद्योगिक क्षेत्रों के बेहतर रखरखाव और संचालन पर ध्यान दिया गया है, वहीं दूसरी ओर “फुटवियर, लेदर और नॉन लेदर क्षेत्र विकास नीति 2025” के तहत इस सेक्टर को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की तैयारी है।
एमएसएमई औद्योगिक आस्थान प्रबंधन नीति: अब होगी पारदर्शी लीज व्यवस्था
इस नई नीति के तहत प्रदेश के औद्योगिक आस्थानों में रिक्त पड़ी भूमि, शेड और भूखंडों का आवंटन लीज या किराया आधारित ई-नीलामी के जरिए किया जाएगा। लीज की अवधि और नीलामी की प्रक्रिया का निर्धारण निदेशक, उद्योग विभाग द्वारा किया जाएगा।
नीति में क्षेत्रवार रिज़र्व प्राइस भी तय किए गए हैं:
मध्यांचल: ₹2,500 प्रति वर्गमीटर
पश्चिमांचल: ₹3,000 प्रति वर्गमीटर (20% अधिक)
पूर्वांचल व बुंदेलखंड: ₹2,000 प्रति वर्गमीटर (20% कम)
हर साल 1 अप्रैल को इन दरों में 5% की वृद्धि की जाएगी। ई-ऑक्शन में भाग लेने के लिए 10% आरक्षित मूल्य की अर्नेस्ट मनी जमा करनी होगी।
फुटवियर, लेदर और नॉन लेदर नीति 2025: निर्यात और रोजगार को मिलेगा बूस्ट
प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित फुटवियर, लेदर और नॉन लेदर क्षेत्र विकास नीति 2025 का उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा, नई निवेश परियोजनाओं को आकर्षित करना, और स्थानीय उद्योगों के विस्तार को प्रोत्साहित करना है।
नीति के प्रमुख बिंदु:
- वैश्विक बाजारों को ध्यान में रखते हुए निर्यात में वृद्धि
- तकनीकी उन्नयन और आधुनिकीकरण
- प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से कुशल कार्यबल तैयार करना
- रोजगार के नए अवसरों का सृजन
- घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए अनुकूल व्यावसायिक माहौल तैयार करना
यह दोनों नीतियां राज्य के औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार निर्माण को नई दिशा देने की क्षमता रखती हैं। इससे न सिर्फ एमएसएमई सेक्टर को मजबूती मिलेगी बल्कि यूपी को लेदर और फुटवियर इंडस्ट्री का हब बनाने का सपना भी साकार हो सकता है।