उत्तर प्रदेश को लेकर कांग्रेस ने दिल्ली में अहम और रणनीतिक मंथन किया. यह हाई-लेवल बैठक दिल्ली के 10 जनपथ पर हुई, जिसमें कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मौजूद रहे. बैठक में उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी, उज्जवल रमण सिंह, इमरान मसूद, तनुज पुनिया सहित कई प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया.
बैठक में लिए गए बड़े निर्णय
सूत्रों के अनुसार, आज की बैठक में उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव कांग्रेस अकेले लड़ेगी. इस प्रस्ताव पर सहमति बन गई है. गठबंधन की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई, जहां कई नेताओं ने स्पष्ट किया कि गठबंधन पर फैसला आखिरी समय में नहीं, बल्कि समय रहते तय होना चाहिए, ताकि संगठनात्मक भ्रम न हो.
राहुल गांधी के निर्देश और रणनीतिक फोकस
बैठक में राहुल गांधी ने कहा, “पंचायत चुनाव में पूरी ताकत और दमखम के साथ मैदान में उतरना है.” उन्होंने वंचित वर्गों, पिछड़े तबके और समाज के दबे-छिपे मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाने पर जोर दिया. 14 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली रैली को ऐतिहासिक और सफल बनाने की जिम्मेदारी नेताओं को सौंपी गई. पार्टी को प्रदेश स्तर से बूथ स्तर तक मजबूत करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है. SIR मुद्दे और वोट चोरी पर कड़ी निगरानी रखने की सलाह दी गई है.
प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष को दिया गया फ्री हैंड
प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष को संगठन हित में फ्री हैंड देकर बड़े फैसले लेने को कहा गया है. कांग्रेस ने संकेत दिया है कि सत्ता विरोधी लहर और सरकार की विफलताओं को जनता के बीच जोरदार तरीके से उठाया जाएगा. संगठनात्मक ढांचे को पुनर्सक्रिय करते हुए पंचायत चुनाव को कांग्रेस के पुनरुत्थान का पहला बड़ा चरण बनाया जाएगा.
दिल्ली में हुई यह बैठक सिर्फ औपचारिक चर्चा नहीं, बल्कि कांग्रेस की यूपी रणनीति का निर्णायक खाका मानी जा रही है. पंचायत चुनाव में अकेले उतरने का फैसला यह दर्शाता है कि कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन वापस हासिल करने के लिए आक्रामक मोड में है.


