
मूडीज रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में सरकार द्वारा किए गए टैक्स कटौतियों के चलते भारत की राजस्व वृद्धि पर दबाव बढ़ा है, जिससे वित्तीय नीति के माध्यम से अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त समर्थन देने की क्षमता सीमित हो गई है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, मूडीज़ रेटिंग्स के उपाध्यक्ष और सीनियर क्रेडिट अधिकारी (सरकारी जोखिम) मार्टिन पेट्च ने एक वेबिनार में कहा कि राजस्व वृद्धि काफी कमजोर रही है। वित्तीय समेकन पर भी कुछ सीमाएं दिखाई दे रही हैं, हाल ही में हुई कर कटौतियों ने राजस्व पर और भार डाला है। इस वजह से अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त वित्तीय समर्थन देने का दायरा कम हुआ है।
टैक्स कलेक्शन में गिरावट
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 के अंत तक शुद्ध कर राजस्व ₹12.29 लाख करोड़ रहा। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह ₹12.65 लाख करोड़ था। सितंबर 2025 तक सरकार अपने FY26 बजट लक्ष्य का केवल 43.3% ही हासिल कर पाई, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 49% था।
सरकार की प्रमुख कर राहतें
आयकर में बड़ी राहत
2025-26 के बजट में नए कर ढांचे के तहत आयकर छूट सीमा ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख की गई। इससे मध्यम वर्ग को लगभग ₹1 लाख करोड़ की टैक्स राहत मिली।
375 वस्तुओं पर जीएसटी दरें कम
22 सितंबर से लगभग 375 वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती की गई, ताकि आम उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती हों और खपत बढ़े।
वित्तीय घाटा लक्ष्य
सरकार का लक्ष्य है कि चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा घटाकर जीडीपी का 4.4% किया जाए।
खपत और मौद्रिक नीति से मिलेगा समर्थन
मार्टिन पेट्च के अनुसार, मुद्रास्फीति में नरमी और मौद्रिक नीति में ढील, इन दोनों कारकों से घरेलू उपभोग में बढ़ोतरी होगी और खपत को नई गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि हम अगले वर्ष स्थिर लेकिन मध्यम गति वाली आर्थिक वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।
ब्याज दरें और मुद्रास्फीति का स्तर
आरबीआई ने जून में नीतिगत ब्याज दरों में 50 आधार अंकों (0.50%) की कटौती की, जो तीन साल का निचला स्तर 5.5% है। अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 0.25% के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर पहुंच गई, जिसमें जीएसटी कटौतियों का असर भी शामिल है।
अमेरिकी शुल्क का असर
पेट्च ने कहा कि घरेलू खपत और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश भारत की आर्थिक वृद्धि की मुख्य ताकतें हैं, जो अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% आयात शुल्क के प्रभाव को काफी हद तक संतुलित करेंगी। हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ये शुल्क लंबे समय तक जारी रहे, तो निवेश प्रभावित हो सकता है।


