भारत में चुनावी राजनीति लगातार बदल रही है—और इस बदलाव के केंद्र में हैं महिलाओं को सीधे Cash Transfer वाली Schemes। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, बिहार… लगभग हर राज्य में Women-Centric Freebies चुनाव जीतने का सबसे बड़ा हथियार बन चुके हैं। सवाल ये है कि क्या यह वास्तव में Welfare Model है या फिर राज्य के खजाने को खोखला कर देने वाला रास्ता? इस वीडियो में हम विस्तार से समझेंगे कि कैसे तमिलनाडु और कर्नाटक ने महिलाओं को Color TV, Mixer Grinder, LPG, Cycle और Maternity Support देकर न सिर्फ Women Participation को 40% तक पहुँचाया, बल्कि Industrial Growth में भी बड़ा योगदान दिया। लेकिन यही Model जब Direct Cash Transfer के रूप में अपनाया जा रहा है तो RBI सहित कई संस्थाओं ने वित्तीय खतरे की चेतावनी दी है। हम देखेंगे कि कैसे केवल 12 राज्यों ने मिलकर ₹1.68 लाख करोड़ इन Freebies पर खर्च कर दिए। बिहार में तो अकेले ₹33,000 करोड़ की नई Cash Schemes राज्य के कुल Tax Revenue (₹59,520 करोड़) का 55% खा जाएँगी—उस समय जब बिहार पर पहले से ₹4.06 लाख करोड़ का कर्ज है। फिर नजर डालेंगे Brazil के Bolsa Familia पर—दुनिया की सबसे बड़ी Conditional Cash Transfer Scheme—जिसने गरीबी तो घटाई, वोट भी बढ़ाए, लेकिन देश का Debt 80% GDP तक पहुँचा दिया और Growth धीमी कर दी। तो क्या Women Cash Transfer Welfare का भविष्य है या Fiscal Time Bomb? पूरा सच जानने के लिए वीडियो ज़रूर देखें!


