
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के लॉजिस्टिक्स और परिवहन नेटवर्क को मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। पालघर जिले में बन रहे वाधवन पोर्ट को नासिक के भरवीर में हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे समृद्धि महामार्ग से जोड़ने के लिए 104.89 किलोमीटर लंबे हाई-स्पीड मालवाहक कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी दे दी गई है। न्यूज18इंडिया की खबर के मुताबिक, यह फैसला बीते मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
कारोबार और लॉजिस्टिक्स को नई दिशा मिलेगी
खबर के मुताबिक, यह प्रस्तावित हाई-स्पीड मालवाहक कॉरिडोर दूरी के साथ-साथ समय, ईंधन और लागत की भी बचत करेगा। साथ ही, यह विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र जैसे आंतरिक क्षेत्रों की व्यापारिक कनेक्टिविटी को भी मजबूत बनाएगा। महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमएसआरडीसी) इस परियोजना का निर्माण करेगी, जिसे हुडको से ₹1,500 करोड़ की वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। परियोजना की कुल लागत ₹2,528.90 करोड़ तय की गई है और इसे तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य है।
देश का नया ट्रांसशिपमेंट केंद्र
वाधवन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड के जरिये विकसित हो रहा यह पोर्ट, भारत का एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट हब बनने जा रहा है। इसके शुरू होने से यहां अंतरराष्ट्रीय कार्गो की बड़ी मात्रा में आवाजाही शुरू होगी। समृद्धि महामार्ग से इसकी सीधी कनेक्टिविटी से पूरे राज्य और देशभर में माल की तेज और किफायती ढुलाई संभव होगी।
78 किमी घट जाएगी दूरी
मौजूदा समय में वाधवन पोर्ट से समृद्धि महामार्ग तक पहुंचने के लिए 183.48 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। यह वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे से होकर जाती है। नई कॉरिडोर योजना इस दूरी को घटाकर महज 104.89 किलोमीटर कर देगी। यानी 78.58 किलोमीटर की दूरी घट जाएगी। सफर का समय भी 4-5 घंटे से घटकर मात्र 1 से 1.5 घंटे तक सिमट जाएगा।
किस-किस क्षेत्र को मिलेगा लाभ
यह हाई-स्पीड कॉरिडोर पालघर जिले के दहानू, विक्रमगढ़, जव्हार और मोखाडा और नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी से होकर गुजरेगा। इन इलाकों के नागरिकों और उद्योगों को बेहतर कनेक्टिविटी और आर्थिक अवसरों का लाभ मिलेगा। इस कॉरिडोर से MSME सेक्टर, कृषि आधारित उद्यम, आईटी कंपनियां, और शैक्षणिक संस्थानों को फायदा पहुंचेगा।


