
भारत और रूस ने गुरुवार को मत्स्य, मांस और डेयरी उत्पादों के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने तथा बाजार पहुंच से जुड़े मुद्दों के समाधान पर विस्तृत चर्चा की। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, रूस ने भारत से फिशरी और मांस उत्पादों के आयात में गहरी रुचि जताई है, साथ ही वेटरिनरी वैक्सीन विकास और पशु स्वास्थ्य प्रबंधन में सहयोग का प्रस्ताव दिया है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक से पहले मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने नई दिल्ली में रूसी कृषि मंत्री ऑक्साना लुट के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
रूसी कृषि मंत्री ऑक्साना लुट के साथ द्विपक्षीय वार्ता
बयान के मुताबिक, दोनों देशों ने मत्स्य, पशु एवं डेयरी उत्पादों का व्यापार बढ़ाने, बाजार पहुंच बाधाओं को दूर करने और निर्यात प्रतिष्ठानों की लिस्टिंग प्रक्रिया तेज करने पर सहमति जताई। बैठक में रिसर्च, शिक्षा और उभरती एक्वाकल्चर तकनीकों-जैसे डीप-सी फिशिंग वेसल्स, आधुनिक प्रोसेसिंग और हाई-टेक एक्वाकल्चर सिस्टम पर साझेदारी के अवसरों की भी समीक्षा की गई।
भारत–रूस व्यापार: वर्तमान स्थिति और संभावनाएं
सिंह ने बताया कि भारत ने 2024-25 में 7.45 अरब डॉलर के मत्स्य उत्पाद निर्यात किए, जिनमें से 127 मिलियन डॉलर का निर्यात रूस को किया गया। उन्होंने बताया कि रूस को झींगा, मैकेरल, सार्डिन, टूना, क्रैब, स्क्विड और कटलफिश जैसे उत्पादों की आपूर्ति बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं।
रूस ने भारत से मछली और मांस उत्पाद आयात करने के साथ-साथ ट्राउट बाजार विकसित करने के लिए संयुक्त तकनीकी परियोजना शुरू करने में रुचि दिखाई। इससे भविष्य में संयुक्त उद्यमों के अवसर भी खुल सकते हैं।
FSVPS लिस्टिंग और भारत की प्रमुख मांगें
सिंह ने रूस को हाल ही में 19 भारतीय फिशरी प्रतिष्ठानों को FSVPS सूची में जोड़ने के लिए धन्यवाद दिया, जिससे कुल संख्या बढ़कर 128 हो गई है। उन्होंने रूस से आग्रह किया कि लंबित प्रतिष्ठानों की शीघ्र लिस्टिंग की जाए, गतिविधि विवरणों का नियमित अपडेट हो और अस्थायी प्रतिबंध हटाए जाएं। सिंह ने यह भी बताया कि AMUL/GCMMF सहित 12 प्रमुख भारतीय डेयरी कंपनियां FSVPS अनुमोदन का इंतजार कर रही हैं, और रूस से इन्हें तेजी से मंजूरी देने का अनुरोध किया गया है।
डीप-सी फिशिंग और एडवांस एक्वाकल्चर तकनीक पर सहयोग
भारत ने डीप-सी फिशिंग वेसल्स, Recirculating Aquaculture Systems (RAS), Biofloc तकनीक, ऑन-बोर्ड प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन में सहयोग को अत्यंत आवश्यक बताया। दोनों देशों ने कोल्ड वॉटर फिशरीज (विशेषकर ट्राउट), मत्स्य प्रजातियों के जेनेटिक सुधार और उन्नत एक्वाकल्चर अनुसंधान पर मिलकर काम करने पर सहमति जताई। भारत ने अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने के लिए पहले से तैयार MoU को जल्द अंतिम रूप देने के लिए रूसी पक्ष से अनुरोध किया।
रूस की प्रतिक्रिया
रूसी मंत्री ऑक्साना लुट ने कहा कि रूस भारत के साथ मत्स्य, पशुपालन और डेयरी क्षेत्रों में सहयोग को और आगे बढ़ाना चाहता है।
उन्होंने कहा कि भारत और रूस एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। जिन उत्पादों की मांग भारत में है, रूस उन्हें आपूर्ति कर सकता है, और जिनकी जरूरत रूस को है, उन्हें भारत से आयात किया जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि रूस भारत के साथ वेटरिनरी वैक्सीन विकास, उपकरण निर्माण, पशु रोग प्रबंधन में साझेदारी गहरी करना चाहता है, साथ ही दोनों देशों के विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।


