Bhagalpur Power Project: बिहार के भागलपुर जिले में प्रस्तावित पावर प्रोजेक्ट को लेकर मचे राजनीतिक विवाद के बीच अडानी ग्रुप ने विपक्ष के आरोपों को ‘भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण’ (Mala Fide) बताते हुए खारिज कर दिया है. ग्रुप का कहना है कि राज्य सरकार ने पूरी तरह पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के तहत यह परियोजना आवंटित की है.
कांग्रेस ने लगाए पक्षपात के आरोप
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने हाल ही में आरोप लगाया था कि बिहार की एनडीए सरकार ने अडानी ग्रुप को 1,050 एकड़ जमीन और लाखों पेड़ मात्र 1 रुपये प्रति वर्ष के नाम मात्र लीज़ किराए पर 33 साल के लिए दे दिए. उन्होंने दावा किया कि विधानसभा चुनाव से पहले इस समझौते को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई और इसे ‘राजनीतिक रूप से जुड़े कारोबारी घराने को उपहार’ करार दिया.
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ये मामला सिर्फ एक औद्योगिक परियोजना नहीं, बल्कि ‘क्रोनी कैपिटलिज्म (पक्षपाती पूंजीवाद)’ का उदाहरण है, जिसमें सार्वजनिक संपत्तियों को निजी कंपनियों को विकास के नाम पर सौंपा जा रहा है.
सरकार ने आरोपों को बताया ‘भ्रामक’
बिहार सरकार ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि टेंडर प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी थी. राज्य के उद्योग मंत्री नितीश मिश्रा ने कहा कि इस परियोजना के लिए चार कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा की थी. सभी औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी की गईं और सबसे कम दर (Lowest Quotation) देने वाले बोलीदाता अडानी पावर लिमिटेड को यह परियोजना सौंपी गई.
दूसरी तरफ बीजेपी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह चुनाव से ठीक पहले विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार यह जमीन बेच नहीं रही, बल्कि लीज पर दे रही है, जो बिहार की औद्योगिक नीति का हिस्सा है. इस परियोजना से राज्य की बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.
अडानी ग्रुप की सफाई
अडानी पावर ने भी एक विस्तृत बयान जारी करते हुए कहा कि जिस जमीन को लेकर विवाद हो रहा है, वह पिछले एक दशक से बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी (BSPGCL) के पास है. ग्रुप ने कहा कि उसने पारदर्शी बोली प्रक्रिया के तहत सबसे कम बिजली दर (टैरिफ) कोट करके यह परियोजना जीती है.
कंपनी ने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा भागलपुर जिले में प्रस्तावित पावर प्रोजेक्ट को लेकर लगातार गलत जानकारी फैलाई जा रही है. संभवतः उन्हें बिहार सरकार द्वारा अपनाई गई पारदर्शी प्रक्रिया की जानकारी नहीं है. अडानी ग्रुप ने स्पष्ट किया कि बिहार सरकार ने बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति, 2025 के तहत सफल बोलीदाता को जमीन नाममात्र लीज़ किराए पर देने का निर्णय लिया था.

अडानी ग्रुप ने आगे कहा कि यह किसी एक कंपनी को दिया गया विशेष लाभ नहीं है, बल्कि यह नीति के तहत सभी निवेशकों पर समान रूप से लागू होता है. इसलिए लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह दुर्भावनापूर्ण और भ्रामक हैं.
टेंडर प्रक्रिया और बिजली दरें
कंपनी ने बताया कि अडानी पावर ने 6.075 रुपये प्रति यूनिट (kWh) की दर पर बोली लगाई, जिसमें 4.165 रुपये फिक्स्ड चार्ज और 1.91 रुपये फ्यूल चार्ज शामिल है. यह दर मध्य प्रदेश में हाल ही में हुई समान 3,200 मेगावाट परियोजना की तुलना में कम है, जिससे बिहार के उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिलेगी.
अडानी ग्रुप ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य बिहार की ऊर्जा आपूर्ति और औद्योगिक क्षमता को बढ़ाना है. कंपनी ने यह भी बताया कि बिहार सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पहले पीएसयू कंपनियों (NTPC, NLC, SJVN) के जरिए कई बार शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन वे सफल नहीं हो पाईं.


