दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में एडमिशन सीजन 2025 के पहले राउंड में छात्रों की कोर्स पसंद ने सबको चौंका दिया है. जहां बीकॉम (ऑनर्स) हमेशा की तरह 48,336 फर्स्ट प्रेफरेंस एप्लिकेशंस के साथ टॉप पर बना हुआ है, वहीं बीएससी (ऑनर्स) जूलॉजी ने जबरदस्त छलांग लगाकर तीसरे पायदान पर जगह बना ली है.
रिपोर्ट्स के अनुसार इस साल इस कोर्स को 12,722 छात्रों ने अपनी पहली पसंद बताया है, जो अपने आप में रिकॉर्ड है. इससे भी दिलचस्प बात यह है कि जूलॉजी ने पारंपरिक रूप से लोकप्रिय इंग्लिश (ऑनर्स) को पछाड़ दिया है.
राजनीति विज्ञान (BA Hons Political Science) 15,295 फर्स्ट चॉइस एप्लिकेशंस के साथ दूसरे नंबर पर रहा. पिछले साल टॉप तीन में बीकॉम (H), इंग्लिश (H) और पॉलिटिकल साइंस (H) शामिल थे, लेकिन इस साल जूलॉजी की एंट्री ने खेल ही बदल दिया.
क्यों बढ़ी जूलॉजी की डिमांड?
DU के जूलॉजी विभाग की प्रमुख प्रो. रीता सिंह के मुताबिक यह बदलाव अचानक नहीं आया है. कोविड महामारी ने छात्रों के सोचने का तरीका ही बदल दिया है. लाइफ साइंसेज में इम्युनिटी, वैक्सीन, जेनेटिक्स, PCR जैसे तमाम जरूरी पहलू जूलॉजी से ही जुड़े हैं. महामारी के दौरान छात्रों को एहसास हुआ कि इस फील्ड का भविष्य बहुत मजबूत है.
NEP में रिसर्च का मौका बना आकर्षण
नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत चौथे साल में रिसर्च प्रोजेक्ट का विकल्प मिलने से भी जूलॉजी के प्रति रुचि बढ़ी है. प्रो. सिंह ने बताया अब यह सिर्फ जानवरों की बायोडायवर्सिटी तक सीमित नहीं रह गया है. छात्र अब यह भी सीख रहे हैं कि फिजियोलॉजी कैसे एनवायर्नमेंटल साइंस से जुड़ती है, और कैसे बायोटेक्नोलॉजी, मेडिसिन और जूलॉजी का आपसी संबंध है.
छात्रों की सोच में दिख रहा बदलाव
बीएससी (ऑनर्स) जूलॉजी की फाइनल ईयर की एक छात्रा ने बताया मेरा प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति लगाव किताबों से शुरू हुआ था, जो यूट्यूब पर एनवायरमेंट से जुड़े वीडियो देखकर और गहरा हो गया. मैं हमेशा से ऐसे लोगों की प्रशंसक रही हूं जो जानवरों के लिए आवाज उठाते हैं. मुझे फील्ड वर्क बहुत पसंद है क्योंकि मुझे लगता है कि काम में अर्थ और आनंद दोनों होने चाहिए.
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