Rupee vs Dollar: वैश्विक उथल-पुथल और टैरिफ टेंशन के बीच बुधवार को भारतीय करेंसी में नई जान आई और रुपया अपने निचले स्तर से 9 पैसे चढ़कर डॉलर के मुकाबले 88.06 पर बंद हुआ. विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि इस मजबूती के पीछे घरेलू शेयर बाजार का सकारात्मक रुख, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और अमेरिकी डॉलर की कमजोरी जैसे कारक जिम्मेदार रहे.
रुपये में नया जोश
दरअसल, भारत-अमेरिका के बीच जारी ट्रेड टैरिफ टेंशन की वजह से लगातार विदेशी पूंजी की निकासी हो रही है, जिसकी वजह से रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर तक चला गया था. मंगलवार को रुपया 88.15 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था, जो अब तक का न्यूनतम स्तर था. बुधवार को इंटरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 88.15 पर खुला और कारोबार के दौरान 88.19 के निचले स्तर और 87.98 के उच्च स्तर के बीच उतार-चढ़ाव करता रहा. दिन के अंत में यह 88.06 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
मिराए एसेट शेयरखान के चीफ एनालिस्ट अनुज चौधरी के अनुसार, घरेलू शेयर बाजारों की मजबूती और कच्चे तेल के दामों में गिरावट ने रुपये को सहारा दिया. हालांकि, भारत-अमेरिका ट्रेड टेंशन और एफआईआई की बिकवाली को देखते हुए रुपये पर दबाव बना रह सकता है.
रुपये में क्यों तेजी?
इस बीच, डॉलर इंडेक्स 0.20% गिरकर 98.19 पर आ गया. घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 409.83 अंकों की मजबूती के साथ 80,567.71 पर और निफ्टी 135.45 अंकों की तेजी के साथ 24,715.05 पर बंद हुआ. वहीं, ब्रेंट क्रूड की कीमत 1.66% गिरकर 67.99 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई. एफआईआई ने मंगलवार को शुद्ध रूप से 1,159.48 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे.
गौरतलब है कि रुपये में गिरावट ऐसे समय में आई है जब भारत और अमेरिका के बीच लगातार ट्रेड टेंशन चल रही है. विदेशी पूंजी की निकासी और डॉलर की मजबूती ने रुपये पर दबाव बनाया है. इसी बीच, आर्थिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारत सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म का ऐलान किया है. जीएसटी काउंसिल की बैठक बुधवार से शुरू हो चुकी है और इसमें टैक्स स्लैब को सरल बनाने जैसे बड़े फैसलों पर चर्चा हो रही है.
इस बैठक के नतीजे 4 सितंबर को सामने आने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि सरकार दिवाली से पहले आम जनता, मध्यम वर्ग और छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत देने के उद्देश्य से जीएसटी ढांचे में बड़ा बदलाव कर सकती है.