22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरान घाटी में लश्कर-ए-तैयबा के जिन आतंकियों ने हमला किया था उन 3 आतंकियों को कल सोमवार (28 जुलाई, 2025) को भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के जॉइंट अभियान “ऑपरेशन महादेव” में मार गिराया गया. इन तीनों आतंकियों की पहचान भी सुरक्षा एजेंसियों ने कर ली, जिनके नाम सुलेमान उर्फ फैजल जट्ट, अफगान और जिब्रान हैं जिसे आज मंगलवार (29 जुलाई, 205) को देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी लोकसभा में बताया. इन तीनों आतंकियों में से अफगान के बारे में एबीपी न्यूज को सुपर एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है, जिससे पाकिस्तान का पहलगाम हमले में सीधा हाथ सामने आया है.
ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकी अफगान का असली नाम हबीब ताहिर उर्फ हबीब अफगानी है और ये आतंकी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के रावलकोट जिले के खैरगला इलाके के अजीज गांव का रहने वाला है. जानकारी के मुताबिक, हबीब ताहिर ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा साल 2021 में जॉइन किया था. सूत्रों के मुताबिक, इस आतंकी के हैंडलर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबू मूसा और रिजवान हनीफ थे.
2021 में लश्कर में हुआ था शामिल
सूत्रों के मुताबिक, हबीब अफगानी ने आतंक की शुरुआती ट्रेनिंग रावलकोट स्थित लश्कर ए तैयबा के ट्रेनिंग कैम्प मरकज़ शोहदा ए कश्मीर में ली थी. हबीब ताहिर उर्फ हबीब अफ़ग़ान ने आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के अलावा यासीन मलिक की जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) की स्टूडेंट विंग SLF का भी सदस्य था इसके अलावा साल 2019 में आतंकी हबीब अफगानी ने इस्लामी जमीयत तलबा भी जॉइन की थी और साल 2021 तक ये आतंकी इस्लामी जमीयत तलबा का रावलकोट में प्रमुख भी था लेकिन आतंकवाद में शामिल होने के लिए 2021 में इसने लश्कर ए तैयबा जॉइन कर ली.
अफगानी वेशभूषा इसलिए कोडनेम भी था अफगान
आतंकी हबीब ताहिर पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर के रावलकोट जिले में जिस खैगला इलाके के गांव में रहता था वो गांव सदोज़ई पठानों का बाहुल्य गांव है सदोज़ई पठान अफ़ग़ानिस्तान से पाकिस्तान में 18वीं सदी में आए थे जिसकी वजह से हबीब ताहिर की वेशभूषा अफ़ग़ानी पश्तूनों जैसी थी और हबीब ताहिर को लश्कर ने कोड नेम भी अफ़ग़ान दिया था.
हबीब ताहिर की कई तस्वीरें भी ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ लगी है जिनमें हबीब ताहिर उर्फ हबीब ख़ान AK 47 और अमेरिकी M4 कार्बाइन राइफल पकड़े हुए है. साथ ही एनकाउंटर के बाद सेना को तस्वीरों में दिखने वाली AK 47 और अमेरिकी M4 कार्बाइन राइफल भी इन आतंकियों के पास से मिली थी जिनकी जब चंडीगढ़ स्थित फॉरेंसिक लैब में जांच करवायी गई तो पता चला कि इन्ही हथियारों का इस्तेमाल पहलगाम में आतंकी हमले के दौरान हुआ था.
सेना को आतंकियों से मिले थे ये हथियार
सूत्रों के मुताबिक हथियारों के अलावा सेना को इन आतंकियों के पास से चीनी कंपनी का T82 सॅटॅलाइट फ़ोन भी बरामद हुआ है जो पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले के दौरान बैसरन घाटी के ऐक्टिव था और यही T82 सॅटॅलाइट फ़ोन 23 जुलाई को फिर से जम्मू कश्मीर के लिडवास ने ऐक्टिव हुआ था जिसके बाद सेना, CRPF और जम्मू कश्मीर पुलिस ने पूरी लोकेशन को कॉर्डन किया और फिर सोमवार को ऑपरेशन महादेव में पहलगाम हमला अंजाम देने वाले आतंकियों को मार गिराया.
पहलगाम हमले में शामिल इन तीनो आतंकियों को कल आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा ने अपने प्रॉक्सी सोशल मीडिया एकाउंट्स पर जानकारी देकर अपने आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ बताया था साथ ही आज लश्कर ए तैयबा ने भी तीन आतंकियों मे से आतंकी हबीब ताहिर की शिनाख्त करते हुए जानकारी अपने प्रॉक्सी एकाउंट्स से सोशल मीडिया पर साझा की. इसके अलावा इस्लामी जमीयत तलबा के पदाधिकारियों ने भी शिनाख्त करके सोशल मीडिया साइट्स पर लिखा कि सेना के साथ एनकाउंटर में मारा गया पहलगाम हमले का कसूरवार आतंकी हबीब ताहिर पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर का रहने वाला था और लश्कर ए तैयबा में जाने से पहले उसके संगठन और यासीन मलिक के JKLF से जुड़ा हुआ था.
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