
संगम नगरी प्रयागराज इस समय गंगा और यमुना नदियों की बाढ़ से जूझ रही है. शनिवार को दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान 84.734 मीटर को पार कर गया. रविवार दोपहर तक यह स्तर करीब एक मीटर ऊपर दर्ज किया गया.

गंगा और यमुना का पानी अब केवल निचले इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि कई रिहायशी कॉलोनियों को भी अपनी चपेट में ले चुका है.

राजापुर, छोटा बघाड़ा, गंगानगर जैसे क्षेत्रों में लोग अपने घरों से बाहर निकलने को मजबूर हैं. कुछ लोग पैदल, तो कुछ नावों के सहारे सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि मौजूदा हालात ने उन्हें 1978 की भयावह बाढ़ की याद दिला दी है, जब जलस्तर 88 मीटर तक पहुंच गया था.

वहीं, 2013 में भी 86 मीटर तक जलस्तर दर्ज किया गया था, जिससे शहर बुरी तरह प्रभावित हुआ था.

वहीं स्थिति को देखते हुए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें बीते तीन दिनों से बाढ़ प्रभावित इलाकों में सक्रिय हैं.अब तक हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा चुका है.

जिला प्रशासन ने बाढ़ ग्रस्त इलाकों में कंट्रोल रूम और राहत शिविरों की स्थापना कर दी है. इन शिविरों में भोजन, पेयजल और दवाइयों की व्यवस्था की गई है.

गंगानगर की कॉलोनी में घरों के भीतर तक पानी भर गया है. लोगों को अपना जरूरी सामान समेटकर घर छोड़ना पड़ा. कई परिवार अब रिश्तेदारों या सरकारी शिविरों में शरण ले रहे हैं.

सिंचाई विभाग के अनुसार, फिलहाल जलस्तर में वृद्धि का रुझान जारी है. ऐसे में प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों को अलर्ट मोड पर रखा है और हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है.
Published at : 03 Aug 2025 11:00 PM (IST)