Government Stake Sale: भारत सरकार LIC (भारतीय जीवन बीमा निगम) और पांच अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी का एक बड़ा हिस्सा बेचने की तैयारी में है. यह कदम सेबी के नियमों के मुताबिक उठाया जा रहा है, जिसके तहत लिस्टेड कंपनियों में प्रमोटर्स की 75 परसेंट से अधिक हिस्सेदारी नहीं होनी चाहिए.
मौजूदा समय में इन संस्थाओं में सरकार की हिस्सेदारी 90 परसेंट से ज्यादा है, जो सेबी की तय लिमिट से कहीं ज्यादा है. वर्तमान में एलआईसी में सरकार की 96.5 परसेंट हिस्सेदारी है. सेबी ने इसके लिए डेडलाइन 2027 तक तय की है.
LIC को पूरा करना होगा यह नियम
साल 2022 में आईपीओ के जरिए LIC में सरकार ने अपनी सिर्फ 3.5 परसेंट हिस्सेदारी बेची थी. अभी भी एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी 96.5 परसेंट है. भारतीय जीवन बीमा निगम का मार्केट कैप 5.66 लाख करोड़ है.
सेबी के नियमों के मुताबिक, एलआईसी को 10 परसेंट मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम को पूरा करना होगा. इसके लिए मई 2024 तक का वक्त दिया गया था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर मई 2027 कर दिया गया है. वहीं, अगर इसके शेयर की बात करें, तो सोमवार को LIC के शेयर 1.86 परसेंट की गिरावट के साथ 895.60 रुपये पर ट्रेड कर रहे हैं.
एलआईसी के साथ-साथ सरकार उन पांच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भी अपनी हिस्सेदारी कम करने की योजना बना रही है, जिनमें उसकी हिस्सेदारी 75 परसेंट से अधिक है. इन बैंकों में शामिल हैं:-
- इंडियन ओवरसीज बैंक – 94.61 परसेंट
- यूको बैंक – 90.95 परसेंट
- पंजाब एंड सिंध बैंक – 93.85 परसेंट
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया – 89.27 परसेंट
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र – 79.60 परसेंट
पहली तिमाही में बैंकों ने कमाया खूब मुनाफा
सेबी के नियमों के मुताबिक, सरकार को अगले साल अगस्त तक इन संस्थाओं में अपनी हिस्सेदारी 75 परसेंट या उससे कम पर लानी होगी. ऐसी उम्मीद है कि केवल बैंक ऑफ महाराष्ट्र ही इस समय सीमा को पूरा कर पाएगा. दूसरे बैंकों के लिए समय सीमा बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है.
जून 2025 तिमाही में इन सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 44,218 करोड़ का रिकॉर्ड मुनाफा कमाया, जो पिछले साल की इसी तिमाही से 11 परसेंट ज्यादा है. इस मजबूत प्रदर्शन को देखते हुए सरकार अब हिस्सेदारी बेचने के लिए मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति करने की तैयारी में जुटी है.
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