Tuesday, August 26, 2025
Homeशिक्षादेशभर में हर तीसरा छात्र ले रहा प्राइवेट कोचिंग, शहरी इलाकों में...

देशभर में हर तीसरा छात्र ले रहा प्राइवेट कोचिंग, शहरी इलाकों में खर्च ज्यादा: शिक्षा सर्वे


देशभर में हर तीसरा स्कूली छात्र प्राइवेट कोचिंग ले रहा है और यह चलन शहरी इलाकों में ज्यादा देखने को मिल रहा है यह जानकारी केंद्र सरकार के कॉम्प्रिहेंसिव मॉड्यूलर सर्वे (CMS) से सामने आई है सर्वे ने यह भी बताया कि भारत में शिक्षा व्यवस्था में अब भी सरकारी स्कूलों की भूमिका अहम है, जहां कुल नामांकन का 55.9 प्रतिशत हिस्सा है.

 

सरकारी और निजी स्कूलों का हाल

 

सर्वे के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में करीब दो-तिहाई (66 फीसदी) बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा केवल 30.1 फीसदी है वहीं, प्राइवेट अनएडेड (मान्यता प्राप्त) स्कूलों में देशभर में 31.9 फीसदी बच्चे पढ़ते हैं

यह सर्वे नेशनल सैंपल सर्वे (NSS) के 80वें चरण का हिस्सा है, जिसमें खासतौर पर स्कूली शिक्षा पर होने वाले खर्च की जानकारी जुटाई गई इसके लिए देशभर के 52,085 घरों और 57,742 छात्रों से डेटा लिया गया.

 

कोचिंग का बढ़ता चलन

 

सर्वे में पाया गया कि 27 फीसदी छात्र इस शैक्षणिक सत्र में प्राइवेट कोचिंग ले रहे हैं या ले चुके हैं शहरी इलाकों में यह अनुपात 30.7 फीसदी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 25.5 फीसदी.

खर्च की बात करें तो शहरी परिवारों ने प्रति छात्र औसतन 3,988 रुपये सालाना कोचिंग पर खर्च किए, जबकि ग्रामीण परिवारों का यह खर्च औसतन 1,793 रुपये रहा.

 

शिक्षा स्तर बढ़ने के साथ बढ़ता खर्च

  • शिक्षा स्तर बढ़ने के साथ कोचिंग पर खर्च भी तेजी से बढ़ रहा है.
  • प्राथमिक स्तर पर औसत खर्च: 525 रुपये.
  • हायर सेकेंडरी स्तर पर औसत खर्च: 6,384 रुपये.
  • शहरी इलाकों में हायर सेकेंडरी स्तर पर कोचिंग खर्च: 9,950 रुपये.
  • ग्रामीण इलाकों में: 4,548 रुपये

स्पष्ट है कि शहरों में कोचिंग पर खर्च ग्रामीण इलाकों के मुकाबले कई गुना ज्यादा है

 

पढ़ाई का खर्च कौन उठाता है?

 

सर्वे के अनुसार, स्कूली शिक्षा पर खर्च करने वाले 95 फीसदी छात्रों ने बताया कि पढ़ाई का पहला बड़ा स्रोत उनके परिवार के सदस्य ही हैं यह स्थिति ग्रामीण (95.3%) और शहरी (94.4%) दोनों क्षेत्रों में समान है वहीं, 1.2 फीसदी छात्रों ने कहा कि उनकी पढ़ाई का मुख्य स्रोत सरकारी छात्रवृत्ति है.

 

पिछला सर्वे और बदलाव

 

इससे पहले साल 2017-18 में NSS का 75वां राउंड शिक्षा पर हुआ था लेकिन शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, उसके नतीजों की तुलना मौजूदा सर्वे से सीधे तौर पर नहीं की जा सकती इसका कारण यह है कि तब आंगनवाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी शिक्षा की श्रेणी में नहीं रखा गया था और कोचिंग पर होने वाला खर्च भी शिक्षा खर्च में जोड़ दिया गया था जबकि CMS सर्वे ने आंगनवाड़ी को प्री-प्राइमरी शिक्षा में शामिल किया और स्कूल शिक्षा और कोचिंग खर्च को अलग-अलग श्रेणी में गिना.

 

शिक्षा पर कुल खर्च

 

सर्वे में यह भी सामने आया कि सभी तरह के स्कूलों में इस शैक्षणिक वर्ष में प्रति छात्र औसतन सबसे ज्यादा खर्च कोर्स फीस पर (7,111 रुपये) हुआ इसके बाद किताबों और स्टेशनरी पर 2,002 रुपये खर्च किए गए.

Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments