Wednesday, August 20, 2025
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डोनाल्ड ट्रंप का 50% टैरिफ भारतीय इक्विटी को बेचने का नहीं, खरीदने का मौका! जेफरीज के ग्लोबल हेड का आया बड़ा बयान


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Photo:PTI भारतीय शेयर बाजार का अन्य बाजारों की तुलना में सबसे खराब प्रदर्शन

अमेरिका की दिग्गज इंवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी जेफरीज के ग्लोबल हेड क्रिस्टोफर वुड ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाना, भारतीय इक्विटी बेचने का कोई कारण नहीं है। वुड ने कहा कि ये भारतीय इक्विटी खरीदने का एक कारण है क्योंकि ये सिर्फ समय की बात है कि ट्रंप अपने रुख से पीछे हटेंगे, जो अमेरिका के हित में नहीं है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वुड ने अपनी हालिया ‘Greed & Fear’ रिपोर्ट में कहा, “ये ध्यान देने योग्य बात है कि पिछले रिकॉर्ड से ये स्पष्ट है कि डोनाल्ड ट्रंप के सामने खड़े होने का फायदा मिलता है।”

रूस से कच्चा तेल खरीदने की वजह से ट्रंप ने भारत पर लगाया एक्स्ट्रा 25 प्रतिशत टैरिफ

क्रिस्टोफर वुड ने कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का फैसला, जिससे भारत पर कुल टैरिफ 50% हो जाता है, “कुछ हद तक असामान्य” है, क्योंकि भारत का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस अपेक्षाकृत कम है और वॉशिंगटन के साथ उसका “बहुत महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक संबंध” है। बताते चलें कि डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से लगातार तेल खरीदने की वजह से भारत पर 25 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया था।

अमेरिका ने चीन के खिलाफ नहीं उठाया भारत जैसा कदम

जेफरीज के ग्लोबल हेड ने कहा, “चीन रूस से बहुत ज्यादा तेल खरीद रहा है, लेकिन उस पर भारत की तरह प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं। भारत को इस तरह से अलग-थलग करना ज्यादातर लोगों की उम्मीदों से परे है।” वुड के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप चीन, रूस, भारत और ब्राजील को एक साथ लाने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर चुके हैं। “वास्तव में, एक समूह के रूप में ब्रिक्स में नई जान फूंकी गई है।”

भारतीय शेयर बाजार का अन्य बाजारों की तुलना में सबसे खराब प्रदर्शन

वुड ने कहा कि जुलाई तक के 12 महीनों में भारत के इक्विटी मार्केट ने अन्य बाजारों की तुलना में 15 सालों में सबसे बड़ा खराब प्रदर्शन दर्ज किया है। उन्होंने इस कमजोरी के लिए “बहुत ज्यादा वैल्यूएशन” और “इक्विटी जारी करने की लंबी अवधि” को जिम्मेदार ठहराया। उनके अनुसार, भारत की वैल्यूएशन में कटौती करने में बहुत देर हो चुकी है क्योंकि अब ये उभरते बाजारों के प्रतिस्पर्धियों की तुलना में 10 साल के औसत 63% मूल्य-आय (PE) अनुपात प्रीमियम के करीब पहुंच गया है।

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