अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने देश में ‘स्वर्ण युग’ लाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन इस सप्ताह आए कमजोर आर्थिक आंकड़े चिंता पैदा कर रहे हैं, क्योंकि उनकी नीतियों के प्रभाव अब स्पष्ट होते जा रहे हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक नौकरियों में वृद्धि कम हो रही है, महंगाई बढ़ रही है और पिछले साल की तुलना में वृद्धि दर धीमी हो गई है। ट्रंप ने अब तक अपने छह महीने से कुछ ज्यादा कार्यकाल के दौरान शुल्क में बढ़ोतरी की। उनके नए कर एवं व्यय विधेयक ने अमेरिका की व्यापार, विनिर्माण, ऊर्जा और कर प्रणालियों को नया रूप दिया है। वह किसी भी अच्छी खबर का श्रेय लेने के लिए उत्सुक रहते हैं और अगर वित्तीय स्थिति बिगड़ती है तो किसी और को दोष देने की कोशिश करते हैं। फिलहाल अमेरिकी अर्थव्यवस्था उस तेजी से नहीं बढ़ रही, जिसका रिपब्लिकन राष्ट्रपति ने वादा किया था।
रोजगार रिपोर्ट बेहद निराशाजनक
शुक्रवार की रोजगार रिपोर्ट बेहद निराशाजनक थी, लेकिन ट्रंप ने आंकड़ों में दी गई चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और मासिक रोजगार के आंकड़े जारी करने वाली एजेंसी के प्रमुख को बर्खास्त कर दिया। जानकार मान रहे हैं कि ट्रंप की आर्थिक नीतियां एक राजनीतिक जुआ हैं, अगर वह मध्य वर्ग की समृद्धि सुनिश्चित करने में विफल रहते हैं, तो शुल्क, खर्च में कटौती और कर संहिता में बदलावों जैसे उपाय एक बड़ा राजनीतिक जोखिम पैदा कर सकते हैं। फायरहाउस स्ट्रैटेजीज के रिपब्लिकन रणनीतिकार एलेक्स कॉनेंट ने कहा, कि हालांकि हम ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत में ही हैं, लेकिन उनका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव असामान्य रूप से बहुत ज्यादा है।
38 प्रतिशत ही ट्रंप से सहमत
उन्होंने कहा कि शुल्कों का महंगाई पर पूरा प्रभाव 2026 तक महसूस होगा। दुर्भाग्य से रिपब्लिकन के लिए यह चुनावी वर्ष भी है। एसोसिएटेड प्रेस-एनओआरसी सेंटर फॉर पब्लिक अफेयर्स ने जुलाई में एक सर्वेक्षण किया, जिसमें केवल 38 प्रतिशत वयस्क ही ट्रंप के अर्थव्यवस्था प्रबंधन से सहमत थे। यह संख्या ट्रंप के पहले कार्यकाल के अंत से कम है, जब आधे वयस्कों ने उनके आर्थिक नेतृत्व को स्वीकार किया था।