Jagdeep Dhankhar Family Tragedy: किसी मां-बाप के लिए अपने बच्चे को खोना दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी होती है. चाहे कोई आम हो या खास, इस दर्द को कोई नहीं झेलना चाहता. ऐसा ही कुछ जगदीप धनखड़ के साथ हुआ था.
उन्होंने एक ऐसा ही दर्द अपने जीवन में सहा है, जिसे वह भुला नहीं सकते, उनके बेटे दीपक धनखड़ की मौत महज 14 साल की उम्र में हो गई थी और इसकी वजह थी एक बेहद गंभीर और जटिल बीमारी, ब्रेन हेमरेज. यह सिर्फ एक पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि इस बात की गवाही भी है कि आज के समय में भी कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जिनका इलाज विज्ञान के इतने विकास के बावजूद बेहद चुनौतीपूर्ण है.आइए जानते हैं कि आखिर क्यों यह बीमारी आज भी इंसान की जान के लिए एक बड़ा खतरा बनी हुई है.
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इतना खतरनाक क्यों होता है यह रोग?
ब्रेन हेमरेज की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि, यह अचानक होता है और अक्सर लोग लक्षणों को समझ नहीं पाते है. कई मामलों में इलाज शुरू करने से पहले ही स्थिति गंभीर हो जाती है. इसके इलाज में ऑपरेशन, दवाइयां और लंबे समय तक मेडिकल मॉनिटरिंग की जरूरत होती है. आज भी यह बीमारी जानलेवा मानी जाती है, खासकर अगर मरीज की उम्र कम हो. बच्चों में इस तरह की स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है, क्योंकि उनका शरीर इसे सहन नहीं कर पाता.
दीपक की मौत ने पूरे परिवार को तोड़ दिया
दीपक की मौत के बाद जगदीप धनखड़ और उनका परिवार पूरी तरह टूट गया था. हालांकि समय के साथ उन्होंने खुद को संभाला और समाजसेवा तथा राजनीति में पूरी निष्ठा से लग गए. लेकिन यह दर्द आज भी उनके जीवन का एक गहरा अध्याय बना हुआ है.
अब भी मुश्किल है इलाज
ब्रेन हेमरेज का इलाज आज भी पूरी तरह निश्चित नहीं है. यह इस पर निर्भर करता है कि, रक्तस्राव कितना है, कहां हुआ है और मरीज की उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति कैसी है. समय रहते इलाज मिलने पर कुछ मामलों में मरीज ठीक हो जाता है, लेकिन जोखिम हमेशा बना रहता है.
दीपक धनखड़ की कम उम्र में हुई मौत न सिर्फ एक पारिवारिक त्रासदी थी, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि कई गंभीर बीमारियों के आगे हम आज भी असहाय हैं. ब्रेन हेमरेज जैसी बीमारियों को लेकर हमें जागरूकता बढ़ाने, समय पर लक्षण पहचानने और इलाज की दिशा में रिसर्च को बढ़ावा देने की जरूरत है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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