Indian Air Force AWACS: भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए छह नए AEW&C (Airborne Early Warning and Control) विमानों के विकास को मंजूरी दे दी है. इन टोही विमानों को ‘Netra MkII’ के नाम से जाना जाता है.
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है भारत को मॉडर्न एयर अलर्ट कंट्रोल सिस्टम में आत्मनिर्भर बनाना. वायुसेना की रणनीतिक निगरानी और युद्धक्षमता में बढ़ोतरी करना और क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे को और मजबूत बनाना है. AEW&C यानी Airborne Early Warning and Control विमान हवाई निगरानी के लिए आसमान में उड़ते रडार के तौर पर काम करते हैं.
क्या होती है AWACS की भूमिका?
-दुश्मन के विमान, ड्रोन या मिसाइल का सैकड़ों किलोमीटर पहले पता लगाना.
-युद्ध के मैदान में कमांडरों को रीयल टाइम इंटेलिजेंस देना.
-जवाबी कार्रवाई में फाइटर जेट्स का मार्गदर्शन करना.
-क्षमताओं की वजह से इन विमानों को Force Multiplier यानी बलवर्धक कहा जाता है.
क्या होती हैं AWACS की खासियत?
-AESA रडार (Active Electronically Scanned Array), जो 360-डिग्री कवरेज प्रदान करेगा.
-रडार डोम (Radome): विमान की छत पर बड़ा फिक्स्ड रडार डोम जिसमें निगरानी प्रणाली लगेगी.
-इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सूट: जो दुश्मन के रडार और कम्युनिकेशन सिग्नल को पकड़ सकेगा.
-डेटा नेटवर्किंग: जिससे यह विमान हवाई नियंत्रण केंद्र बनकर काम करेगा
बता दें कि इस परियोजना की अवधि तीन से चार वर्षों की रखी गई है, जिसमें DRDO भारतीय निजी और सार्वजनिक औद्योगिक साझेदारों के साथ मिलकर विकास करेगा.
मौजूदा AEW&C क्षमता और नेत्र MkII का महत्व
वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 3 इजरायली फाल्कन सिस्टम (IL-76 प्लेटफॉर्म पर आधारित, 360° कवरेज), 2 DRDO निर्मित नेत्र MkI सिस्टम (Embraer प्लेटफॉर्म पर आधारित, 240° कवरेज) है, लेकिन जब एयर फोर्स को नेत्र का MkII मिल जाएगा तो दुश्मनों की खैर नहीं होगी.
नेत्र MkII में क्या नया होगा?
-AEW&C विमानों की कुल संख्या अब 11 हो जाएगी, जो पहले के मुकाबले दोगुनी होगी.
-देश के भीतर ही विकास, डिजाइन और उत्पादन का काम होगा.
-360 डिग्री कवरेज के साथ बेहतर कवरेज देगा.
-पुराने एयरबस A321 प्लेटफॉर्म का दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा.
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