Tuesday, July 15, 2025
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गणित से क्यों डर रहे बच्चे? तीसरी कक्षा के बच्चों का हाल बेहाल, NCRT की रिपोर्ट में हुआ खुलासा


Math Fear in Children’s: एक समय था जब बच्चों से पूछा जाता था बड़े होकर क्या बनना है? और जवाब मिलता था, इंजीनियर, वैज्ञानिक या डॉक्टर. लेकिन आज जब बच्चों से यही सवाल किया जाता है तो जवाब से पहले आता है एक डर, मैथ्स तो बहुत मुश्किल है. गणित को लेकर यह डर धीरे-धीरे बच्चों की सोच में बैठता जा रहा है.

हाल ही में NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) की एक रिपोर्ट ने इस डर को सामने रखा है. रिपोर्ट में यह सामने आया है कि तीसरी कक्षा के अधिकांश छात्र बेसिक गणित, जैसे जोड़, घटाव, गुणा या भाग जैसे कौशल भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं. यह न सिर्फ बच्चों की शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि पैरेंट्स और शिक्षकों के लिए भी एक चेतावनी है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें, बहुत से छात्र दो अंकों की संख्या में भी गलती कर रहे हैं. कुछ बच्चों को सवाल समझने में ही समस्या है, यानी गणितीय भाषा की पकड़ कमजोर है. शब्द समस्याओं को समझना और हल करना बच्चों के लिए चुनौती बन चुका है.

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गणित में गिरता आत्मविश्वास?

रट्टा आधारित शिक्षा प्रणाली

बच्चों को कॉन्सेप्ट समझाने के बजाय सिर्फ जवाब याद करवा दिए जाते हैं. इससे वे असली गणना से कनेक्ट नहीं कर पाते.

गणित को डरावना विषय बना देना

पैरेंट्स या शिक्षक अक्सर कह देते हैं, मैथ्स आसान नहीं है” इससे बच्चे पहले से ही इसे कठिन मान लेते हैं.

प्रैक्टिस की कमी

गणित एक ऐसा विषय है जिसमें निरंतर अभ्यास ज़रूरी होता है. यदि रोज़ाना अभ्यास नहीं किया जाए, तो बच्चा जल्दी पिछड़ जाता है.

टेक्नोलॉजी पर बढ़ती निर्भरता

कैलकुलेटर, मोबाइल ऐप्स, और गेम्स ने बच्चों को मानसिक गणना से दूर कर दिया है.

क्या किया जा सकता है?

  • कॉन्सेप्ट आधारित पढ़ाई शुरू करनी चाहिए, जिसमें बच्चा केवल उत्तर याद न करे, बल्कि समझे कि वह कर क्या रहा है.
  • गणित को खेल और कहानियों के जरिए सिखाया जाए ताकि बच्चों में रुचि बनी रहे.
  • पैरेंट्स को भी घर पर गणितीय गतिविधियों में बच्चों को शामिल करना चाहिए, जैसे सब्ज़ी खरीदते समय जोड़-घटाव करवाना.
  • शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाए कि वे बच्चों की कठिनाई को समझें और उनकी गति के अनुसार पढ़ाएं.

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