Monday, December 29, 2025
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खुशखबरी! इन दो सरकारी बैंकों ने सस्ता कर दिया लोन, RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद इतना घटाया ब्याज


RBI ने बैंकिंग सिस्टम में 1 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता डालने का भी फैसला किया।- India TV Paisa

Photo:PIXABAY RBI ने बैंकिंग सिस्टम में 1 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता डालने का भी फैसला किया।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को छह महीने बाद प्रमुख नीतिगत दर (रेपो रेट) में कटौती की घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर, दो बड़े सरकारी बैंकों- बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया ने तत्काल प्रभाव दिखाते हुए रेपो रेट से जुड़े अपने कर्जों की ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कमी कर दी है। यह कदम संकेत देता है कि अब अन्य बैंक भी जल्द ही उपभोक्ताओं को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

प्रमुख बैंकों द्वारा नई दरें लागू

पीटीआई की खबर के मुताबिक, बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट यानी RBLR को 8.35% से घटाकर 8.10% कर दिया है। यह नई दर शुक्रवार से ही प्रभावी हो गई है। इसी तरह, बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपनी बड़ौदा रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट यानी BRLLR को 8.15% से घटाकर 7.90% करने का ऐलान किया है। यह कटौती 6 दिसंबर से लागू होगी। इससे पहले, इसी सप्ताह इंडियन बैंक ने भी अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट यानी MCLR में 5 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 8.80% कर दिया था, जो 3 दिसंबर से प्रभावी है।

RBI का बड़ा फैसला: अर्थव्यवस्था को ‘गोल्डीलॉक्स’ समर्थन

शुक्रवार को RBI ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में छह महीने बाद पहली बार बेंचमार्क रेपो रेट को 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 5.25% कर दिया। इसमें RBI ने बैंकिंग सिस्टम में 1 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता डालने का भी फैसला किया, जिसका उद्देश्य “गोल्डीलॉक्स” (संतुलित और स्थिर वृद्धि) अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय MPC ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया। समिति ने अपना न्यूट्रल स्टांस बरकरार रखा है, जिससे भविष्य में आगे और कटौती की संभावना बनी हुई है।

कटौती का व्यापक आर्थिक संदर्भ

RBI का यह कदम एक ऐसे समय में आया है जब भारत को अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 50% की ऊंची टैरिफ दर जैसे वैश्विक आर्थिक दबावों का सामना करना पड़ रहा है। रेपो रेट में कटौती से उपभोक्ता मांग बढ़ेगी, निवेश आकर्षित होगा और यह सरकार द्वारा GST सुधारों, श्रम नियमों में ढील और वित्तीय क्षेत्र के नियमों को सरल बनाने के प्रयासों को भी मजबूत समर्थन प्रदान करेगा।

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