एयर इंडिया एक बार फिर बड़े संकट के दौर से गुजर रही है. इस साल जून में अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में 240 यात्रियों की मौत के बाद एयरलाइन की सुरक्षा और संचालन व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे हैं. इसी वजह से कंपनी ने अपने मालिकों टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस से 10,000 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद मांगी है, ताकि वह दोबारा पटरी पर लौट सके.
जून में हुए इस विमान हादसे के बाद सरकार और एविएशन रेगुलेटरों ने एयर इंडिया के सभी ऑपरेशंस की सुरक्षा जांच (Safety Audit) को और सख्त कर दिया. हादसे के बाद यात्रियों के भरोसे में कमी आई है और इससे कंपनी के राजस्व और साख, दोनों पर असर पड़ा है.
क्यों मांगी गई फंडिंग
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया को मिले फंड्स का इस्तेमाल मुख्य रूप से इन क्षेत्रों में किया जाएगा — सुरक्षा और मेंटेनेंस सिस्टम्स को बेहतर बनाने में, इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने में, कर्मचारियों की ट्रेनिंग और केबिन क्रू के स्किल डेवलपमेंट पर, और ऑपरेशनल टेक्नोलॉजी को मॉडर्न बनाने में, कंपनी चाहती है कि इन निवेशों के ज़रिए उसकी सुरक्षा मानक और सेवाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से मजबूत हों.
एयर इंडिया में टाटा संस की हिस्सेदारी 74.9% है, जबकि सिंगापुर एयरलाइंस की हिस्सेदारी 25.1% है. सिंगापुर एयरलाइंस ने एक बयान में कहा है कि वह टाटा ग्रुप के साथ मिलकर एयर इंडिया के आधुनिकीकरण और बदलाव की प्रक्रिया को सपोर्ट कर रही है. हालांकि, दोनों कंपनियों की तरफ से अब तक किसी आधिकारिक फंडिंग की पुष्टि नहीं की गई है.
आधुनिकीकरण के प्रयास जारी
टाटा समूह ने 2022 में जब एयर इंडिया को अधिग्रहित किया, तब से ही वह कंपनी के फ्लीट, टेक्नोलॉजी और सर्विस क्वालिटी को सुधारने की दिशा में लगातार निवेश कर रहा है. हालांकि, अहमदाबाद हादसे ने एयर इंडिया की ब्रांड इमेज और सुरक्षा भरोसे को गहरी चोट पहुंचाई है. यही वजह है कि कंपनी अब अपनी पूरी रणनीति को “सुरक्षा और विश्वसनीयता” के इर्द-गिर्द दोबारा तैयार कर रही है.


 
                                    