कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया में लंबे समय से खींचतान देखी जा रही है. कई बार बगावत के सुर उठे, लेकिन उन्हें शांत करा दिया गया. अभी हाल ही में सीएम सिद्धारमैया ने कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात के बाद कहा था कि आलाकमान का फैसला सभी को मानना होगा, लेकिन राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार इस बार आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं.
कर्नाटक में इस बार बगावत चरम पर पहुंच गई है. इसका एक बड़ा कारण है डीके शिवकुमार खेमे के विधायकों का दिल्ली में कैंप करना. ये विधायक लगातार डीके शिवकुमार को कर्नाटक का सीएम बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं. बता दें कि डीके समर्थकों के 2 बैच पहले से ही दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और अब विधायकों का तीसरा बैच भी दिल्ली कूच कर चुका है.
ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या 2023 में जिस सरकार को बनाने के लिए डीके शिवकुमार ने तन, मन और धन से पूरी मदद की. उसे अब वो खुद ही गिरा सकते हैं.
किसके पास कितनी सीटें
कर्नाटक में नंबर गेम की बात की जाए तो बता दें कि कुल विधानसभा सीटें 224 हैं, जिसमें कांग्रेस के पास 135 सीटें हैं. विपक्ष में बैठी बीजेपी के पास 65 सीटें हैं और गठबंधन वाले जेडीएस के पास 19 सीटें हैं, दोनों का कुल आकंड़ा 84 सीटों का है. ऐसे में अगर डीके शिवकुमार जोड़-तोड़ का काम करते हैं और उनके 30 विधायक बीजेपी और जेडीएस गठबंधन के साथ आते हैं तो ये आंकड़ा 114 विधायकों का हो जाता है.
बेंगलुरु में जमे हैं खरगे
ऐसे में सिद्धारमैया सरकार के 135 विधायकों की संख्या कम होकर 105 पर ही सिमट जाएगी और बीजेपी गठबंधन के पास बहुमत होगा. सरकार बनाने के लिए 112 विधायकों की जरूरत है. कांग्रेस अध्यक्ष खरगे अभी तक बेंगलुरु में ही हैं. बता दें कि उन्हें दिल्ली वापस लौटना था, लेकिन अभी वो कर्नाटक में ही रूके हैं. इसके चलते बेंगलुरु में बैठकों का दौर जारी है.
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