ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री आमने-सामने होंगे. इस दौरान सभी की निगाहें दोनों देशों के विदेश मंत्रियों पर टिकी होंगी और सबके मन में एक ही सवाल है कि क्या दोनों की बैठक से इतर कोई मुलाकात होगी? इससे पहले 26 जून को एससीओ समिट में सदस्य देशों के रक्षा मंत्री शामिल हुए थे, जिसमें राजनाथ सिंह और पाक डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ भी पहुंचे थे. हालांकि, दोनों के बीच एससीओ से अलग कोई बात नहीं हुई थी.
15 जुलाई को चीन के तियांजिन में एससीओ बैठक होने वाली है, जिसमें सदस्य देशों के विदेश मंत्री शामिल होंगे. डॉ. एस. जयशंकर और इशाक डार की मीटिंग के सवाल पर पाकिस्तानी एक्सपर्ट कमर चीमा का कहना है कि उनकी मीटिंग होना मुश्किल नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि जब रक्षा मंत्री शामिल हुए थे, तब काफी मुद्दा बना था क्योंकि राजनाथ सिंह ने एससीओ के जॉइंट स्टेटमेंट पर साइन करने से इनकार कर दिया था.
भारत समिट में पहलगाम आतंकी हमले के मुद्दे को भी शामिल करना चाहता था, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो रक्षामंत्री ने संयुक्त बयान पर साइन करने से इनकार कर दिया.
कमर चीमा ने कहा, ‘सेंट्रल सवाल यही है कि क्या इशाक डार और डॉ. एस. जयशंकर की मुलाकात हो सकती है. या दोनों एक-दूसरे के साथ सख्त रवैया अपनाएंगे, सख्त कमेंट करेंगे या दोनों एक-दूसरे को कहेंगे कि ये टेरर स्पोंसर करते हैं. ये इसी तरह चलेगा कोई कंस्ट्रक्टिव चीज इससे निकलती मुझे नजर नहीं आ रही है.’ उन्होंने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन बायलेट्रल मामलों को डिस्कस नहीं करता है इसलिए भारत और पाकिस्तान वहां अपने-अपने मुद्दों को नहीं रखे सकेंगे. ये कॉमन इशू पर बात करता है.
कमर चीमा ने कहा कि इस संगठन की वो कपैसिटी नहीं है कि ये ग्लोबल लेवल पर कोई अप्रोच रखता हो इसलिए मुझे लगता है कि भारत इस पर टफ लाइन भी रखता है और इसको इग्नोर भी करता है. उन्होंने कहा कि पिछली बार जब भारत को एससीओ की मेजबानी करनी थी तो उन्होंने विदेश मंत्रियों को बुला लिया था, लेकिन सरकार के प्रमुखों के लिए ऑनलाइन मीटिंग अरेंज कर ली थी.