Thursday, July 17, 2025
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कहीं आपके एग्स का भी तो नहीं हो रहा है कारोबार? जानें IVF कराते समय किन बातों का रखें ख्याल


आज के दौर में इनफर्टिलिटीएक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है, जिससे कई जोड़े माता-पिता बनने का सुख प्राप्त नहीं कर पाते. ऐसे में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन जैसी आधुनिक अस्सिटेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजीस उनके लिए उम्मीद की किरण लेकर आती हैं. आईवीएफ ने हजारों परिवारों को पूरा किया है, लेकिन इस क्षेत्र के तेजी से बढ़ते विस्तार के साथ कुछ अनैतिक और व्यावसायिक प्रथाओं का भी उदय हुआ है, जो मरीजों के अधिकारों और उनके शरीर के अंगों, विशेषकर एग्स और शुक्राणु के दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़े करते हैं आज हम इसी गंभीर विषय पर बात करेंगे और जानेंगे कि आईवीएफ कराते समय आपको किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, ताकि आपके साथ कोई धोखाधड़ी या आपके जैविक सामग्री का दुरुपयोग न हो.

इन बातों का रखें खास ख्याल

विश्वसनीय क्लिनिक का चुनाव करें: सबसे पहले आप ये सुनिश्चित करें कि क्लिनिक भारत सरकार के असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी अधिनियम, 2021 के तहत पंजीकृत और मान्यता प्राप्त हो. यह अधिनियम आईवीएफ क्लिनिकों और डोनर सेंटरों के संचालन को नियंत्रित करता है. क्लिनिक की सफलता दर के बारे में पूरी जानकारी लें. साथ ही, इलाज की कुल लागत, छिपी हुई लागतें और भुगतान योजना के बारे में पूरी पारदर्शिता रखें. ये भी सुनिश्चित करें कि क्लिनिक में अनुभवी और बोर्ड-प्रमाणित प्रजनन एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और अन्य विशेषज्ञ हों.

डॉक्यूमेंटेशन और सहमति: आईवीएफ प्रक्रिया के हर चरण के लिए आपकी लिखित सहमति बहुत जरूरी है. खासकर यदि एग डोनर या स्पर्म डोनर का इस्तेमाल किया जा रहा हो. क्लिनिक से अपनी प्रक्रिया, दवाइयों और संभावित जोखिमों के बारे में पूरी और स्पष्ट जानकारी प्राप्त करें.  बता दें कि भारत में एग और स्पर्म डोनेशन एक गुमनाम प्रक्रिया है, लेकिन डोनर की आयु (23 से 35 वर्ष के बीच), स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी मानदंडों के बारे में क्लिनिक से पुष्टि करें.

धोखाधड़ी से कैसे बचें?

यदि कोई क्लिनिक या एजेंट बहुत कम लागत पर या बहुत ऊंची सफलता दर की गारंटी देता है, तो सतर्क रहें. आईवीएफ में 100% सफलता की गारंटी नहीं दी जा सकती. अवैध एग डोनर सेंटरों से बचें, जो बिना पंजीकरण के चल रहे हों या नाबालिगों को इस प्रक्रिया में शामिल कर रहे हों. कुछ दुर्भाग्यपूर्ण मामलों में स्पर्म या एग के सैंपल बदलने की घटनाएं सामने आई हैं. विश्वसनीय और नैतिक रूप से काम करने वाले क्लिनिक का चुनाव बहुत जरूरी है. डीएनए टेस्ट के माध्यम से ऐसी धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है. यदि आपको अनावश्यक टेस्ट या महंगी दवाएं खरीदने के लिए कहा जाए, तो दूसरी राय लेने पर विचार करें.

ये भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी में बुखार आने पर कौन सी दवा लेनी चाहिए? जान लीजिए जवाब

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं: ये भी जरूरी है कि ताजे फल, हरी सब्जियां और प्रोटीन युक्त आहार लें. प्रोसेस्ड फूड, शक्कर और ज्यादा फैटी खाद्य पदार्थों से बचें. पर्याप्त नींद लें और तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें, क्योंकि आईवीएफ प्रक्रिया मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है. शराब, सिगरेट और कैफीन का सेवन कम से कम करें या पूरी तरह बंद कर दें. डॉक्टर द्वारा दी गई सभी सलाह और दवाओं का सख्ती से पालन करें. अपनी मर्जी से कोई दवा बंद न करें या खुराक न बदलें.

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