Tuesday, July 22, 2025
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आपको छू भी नहीं पाएगा मलेरिया का मच्छर, भारत की स्वदेशी वैक्सीन AdFalciVax करेगी इस बीमारी का खात्मा


भारत ने मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए बड़ा कदम उठाया है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (RMRCBB) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च (NIMR) के साथ मिलकर जैव प्रौद्योगिकी विभाग के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (DBT-NII) के सहयोग से नई मलेरिया वैक्सीन बनाई है. इसका नाम AdFalciVax रखा गया है. ये भारत की पहली ऐसी वैक्सीन है, जो मलेरिया के सबसे खतरनाक परजीवी प्लाज्मोडियम फाल्सीपैरम को दो अलग-अलग लेवल पर टारगेट करता है. इसकी खासियत ये है कि ये न सिर्फ इंसानों को मलेरिया से बचाएगा, बल्कि मच्छरों के जरिए इसके फैलाव को भी रोकेगा.

AdFalciVax है क्या?

AdFalciVax खास तरह की वैक्सीन है, जो मलेरिया के परजीवी के दो अहम स्टेज पर हमला करता है. पहली स्टेज में जब परजीवी इंसान के शरीर में इंफेक्शन फैलाता है और दूसरी स्टेज जब मच्छरों के जरिए ये बीमारी एक इंसान से दूसरे तक पहुंचती है. इसका मतलब यह है कि ये वैक्सीन न सिर्फ आपको बीमार होने से बचाएगा, बल्कि मलेरिया को पूरे इलाके में फैलने से भी रोकेगा. जानवरों पर किए गए शुरुआती टेस्ट में ये वैक्सीन असरदार साबित हुई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये मौजूदा वैक्सीन्स जैसे RTS, S/AS01 और R21/Matrix-M से कई मामलों में बेहतर हो सकती है.

इस बैक्टीरिया से बनाई गई वैक्सीन

इस वैक्सीन को बनाने में ‘लैक्टोकोकस लैक्टिस’ नाम के सेफ बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया गया, जो वैक्सीन डेवलपमेंट में पहले से जाना जाता है. इसमें दो अलग-अलग चरणों के खिलाफ असरदार तत्वों को मिलाकर मजबूत वैक्सीन बनाई गई है. ये वैक्सीन कमरे के तापमान पर 9 महीने तक खराब नहीं होती, जो इसे उन इलाकों के लिए बहुत उपयोगी बनाता है, जहां बिजली या ठंडी जगह की कमी है. साथ ही, इसे सस्ते और सुरक्षित पदार्थों से बनाया गया है, जिससे ये किफायती भी है.

क्यों खास है ये वैक्सीन?

AdFalciVax की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये मलेरिया के परजीवी को दो मोर्चों पर मारता है. आमतौर पर बाकी वैक्सीन्स सिर्फ एक स्टेज को टारगेट करती हैं, लेकिन ये दोनों चरणों पर काम करती है. इससे न सिर्फ इंसान को मलेरिया होने का खतरा कम होता है, बल्कि मच्छरों के जरिए बीमारी का फैलाव भी रुकता है. साथ ही, ये वैक्सीन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने की परजीवी की कोशिश को भी कम करता है और लंबे समय तक सुरक्षा देता है. इसे एलम जैसे सस्ते पदार्थों से बनाया गया है, जिससे ये ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकती है.

आगे का प्लान क्या है?

AdFalciVax अभी शुरुआती डेवलपमेंट स्टेज में है. इसे आम लोगों तक पहुंचने में अभी समय लगेगा. ICMR के मुताबिक, वैक्सीन के डेवलपमेंट और टेस्टिंग का प्लान कुछ इस तरह है.

  • GMP निर्माण और टॉक्सिसिटी टेस्टिंग: इसमें करीब 2 साल लगेंगे.
  • फेज 1 क्लिनिकल ट्रायल: शुरुआती मानव टेस्टिंग के लिए 2 साल और चाहिए.
  • फेज 2b और फेज 3 ट्रायल: बड़े पैमाने पर टेस्टिंग के लिए 2.5 साल का समय.
  • अंतिम अप्रूवल और मार्केटिंग लाइसेंस: इसके लिए 6 और महीने की जरूरत होगी.

हर चरण में 6 महीने का अतिरिक्त समय भी रखा गया है, ताकि कोई देरी होने पर भी काम पूरा हो सके. कुल मिलाकर, अगर सब कुछ ठीक रहा तो ये वैक्सीन करीब 7 साल में लोगों तक पहुंच सकती है.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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