दिल्ली में रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए आज एक बड़ी खबर आई है, जिससे आम लोगों को काफी राहत मिलेगी। दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने राजधानी में बैंकिंग, नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFC) और गैस सप्लाई को सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं (Public Utility Services) के दायरे में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। राज निवास के अधिकारियों ने मंगलवार को ये जानकारी साझा की। उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना के इस फैसले से बैंकिंग, NBFC और गैस सप्लाई से जुड़े विवादों का निपटारा अब स्थायी लोक अदालतों के जरिए तेजी से और सुलभ तरीके से किया जा सकेगा।
दिल्ली सरकार के विधि विभाग की तरफ से भेजा गया था प्रस्ताव
दिल्ली सरकार के विधि विभाग ने उपराज्यपाल को बैंकिंग, एनबीएफसी और गैस सप्लाई को सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के दायरे में लाने का प्रस्ताव दिया था। विधि विभाग के प्रस्ताव में कहा गया था कि बैंकिंग और एनबीएफसी क्षेत्रों से जुड़े लोन, वित्तीय वसूली, निवेश, सेवाओं की गुणवत्ता और बिलिंग जैसे मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। दिल्ली सरकार ने कहा था कि ऐसे विवादों को पारंपरिक अदालतों की बजाय अगर सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के अंतर्गत लाकर स्थायी लोक अदालतों में लाया जाए तो समय और खर्च की बचत होगी।
कम हो जाएगा नियमित अदालतों का बोझ
एक अधिकारी ने बताया कि इन सेवाओं को सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं के दायरे में लाने से न्याय प्रक्रिया ज्यादा आसान, किफायती और जल्दी होगी, जिससे आम नागरिकों को काफी राहत मिलेगी। इसके साथ ही, नियमित अदालतों का बोझ भी कम होगा और बाकी मामलों को ज्यादा समय मिलेगा। बताते चलें कि फिलहाल दिल्ली में तीन स्थायी लोक अदालतें बिजली संबंधी विवादों के समाधान के लिए कार्यरत हैं। दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण परिवहन, डाक, टेलीकॉम, पानी की सप्लाई, सार्वजनिक स्वच्छता, स्वास्थ्य और बीमा जैसी सेवाओं से संबंधित मामलों के समाधान के लिए एक अन्य स्थायी लोक अदालत के गठन की प्रक्रिया में है।