देश की लाखों बेटियों के लिए यह एक बड़ी और राहत भरी खबर है. अब सिर्फ इस वजह से किसी लड़की की पढ़ाई नहीं रुकेगी कि उसका कॉलेज घर से दूर है या रहने की सुरक्षित व्यवस्था नहीं है. केंद्र सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है, जिसके तहत देश के हर जिले में गर्ल्स हॉस्टल बनाए जाएंगे. इसका सीधा फायदा ग्रामीण, दूरदराज और पिछड़े इलाकों की छात्राओं को मिलेगा, जो अब तक आवास की कमी के कारण उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती थीं.
सरकार का मानना है कि अगर बेटियों को पढ़ाई के लिए सुरक्षित और सुलभ रहने की सुविधा मिल जाए, तो वे कॉलेज और यूनिवर्सिटी तक आसानी से पहुंच सकेंगी. खासकर साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (STEM) जैसे विषयों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए यह योजना बेहद अहम मानी जा रही है.
शिक्षा मंत्रालय का बड़ा कदम
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस योजना का प्रस्ताव तैयार कर लिया है और इसे वित्त मंत्रालय को भेजने की तैयारी कर रहा है. माना जा रहा है कि साल 2026 के आम बजट में इस योजना की आधिकारिक घोषणा हो सकती है. अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो देश के करीब 700 से 800 जिलों में नए गर्ल्स हॉस्टल बनाए जाएंगे. इन हॉस्टलों को सामान्य वूमेन हॉस्टल से अलग रखा जाएगा, ताकि खासतौर पर कॉलेज जाने वाली छात्राओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर बेहतर सुविधाएं दी जा सकें.
राज्यों के साथ होगी अहम बैठक
इस योजना पर चर्चा के लिए 26 से 28 दिसंबर के बीच दिल्ली में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों की एक जरूरी बैठक होने जा रही है. इस बैठक में उच्च शिक्षा से जुड़े कई अहम मुद्दों पर विचार किया जाएगा. खासतौर पर इस बात पर चर्चा होगी कि कैसे उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (GER) को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक पहुंचाया जाए और बीच में पढ़ाई छोड़ने वाली छात्राओं की संख्या को कम किया जाए.
राज्यों से यह भी कहा गया है कि वे अपने-अपने स्तर पर उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं पेश करें. इसमें कॉलेजों में दो शिफ्ट में कक्षाएं चलाने, नए कॉलेज खोलने और ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने जैसे सुझाव शामिल होंगे.
STEM शिक्षा में बढ़ेगी बेटियों की भागीदारी
शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाली कई होनहार छात्राएं सिर्फ रहने की व्यवस्था न होने के कारण साइंस और इंजीनियरिंग जैसे कोर्स नहीं चुन पाती है. गर्ल्स हॉस्टल बनने से यह समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी. जब छात्राओं को कॉलेज के पास सुरक्षित आवास मिलेगा, तो वे बिना डर और चिंता के STEM जैसे कठिन लेकिन करियर बनाने वाले विषयों की पढ़ाई कर सकेंगी. इसके साथ ही सरकार STEM कोर्सों की संख्या बढ़ाने और छात्राओं को इन विषयों के लिए प्रोत्साहित करने पर भी काम कर रही है.
ड्रॉपआउट रोकने पर जोर
बैठक में यह भी चर्चा होगी कि कैसे आर्थिक, सामाजिक और बुनियादी ढांचे से जुड़ी समस्याओं के कारण होने वाले ड्रॉपआउट को रोका जाए. हॉस्टल सुविधा मिलने से खासकर उन छात्राओं को फायदा होगा, जिनके परिवार उन्हें दूर भेजने से हिचकते हैं. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत सरकार का लक्ष्य है कि साल 2035 तक उच्च शिक्षा में छात्राओं का नामांकन 50 प्रतिशत तक पहुंचाया जाए फिलहाल यह आंकड़ा करीब 29 प्रतिशत है. इस अंतर को कम करने के लिए गर्ल्स हॉस्टल की भूमिका बेहद जरूरी मानी जा रही है.
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