रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी से मंगलवार को ईडी ने 10 घंटे तक पूछताछ की। इस तरह, आज की पूछताछ खत्म हुई। आज की पूछताछ में अनिल अंबानी ने ज़्यादातर सवालों पर कहा कि दस्तावेज़ और तथ्य इकट्ठा करने में 7 से 10 दिन लगेंगे। खबर के मुताबिक, पूछताछ के दौरान अनिल अंबानी ने कहा कि सभी वित्तीय फैसले इंटरनल बोर्ड ने लिए थे, मैं तो बाद में दस्तखत करता था। यानी उन्होंने धोखाधड़ी से खुद को अलग दिखाने की कोशिश की।
17,000 करोड़ रुपये से अधिक लोन से जुड़ा है मामला
प्रवर्तन निदेशालय की अनिल अंबानी पर हुई यह कार्रवाई रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर समेत उनकी समूह कंपनियों द्वारा 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के सामूहिक लोन के डायवर्जन से जुड़ी है। जांच का पहला बड़ा फोकस 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए लगभग ₹3,000 करोड़ के संदिग्ध ऋण पर है। ईडी को संदेह है कि इन लोन की मंजूरी से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटरों को उनके निजी कारोबार में फंड ट्रांसफर किए गए थे।
रिलायंस समूह के प्रवक्ता ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया था और एक बयान में कहा था कि 10,000 करोड़ रुपये की राशि किसी अज्ञात पक्ष को ट्रांसफर करने का आरोप 10 साल पुराना मामला है और कंपनी ने अपने वित्तीय विवरणों में कहा था कि उसका निवेश केवल 6,500 करोड़ रुपये के आसपास था। कंपनी का कहना है कि अंबानी तीन साल से अधिक समय से आर इंफ्रा के बोर्ड में नहीं थे।
इन मामलों में चला था तलाशी अभियान
66 वर्षीय उद्योगपति का बयान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया जा रहा है। ईडी ने यह कार्रवाई ऐसे समय में की है जब उसने 24 जुलाई को मुंबई में एक बड़े छापेमारी अभियान के तहत 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों से जुड़े 35 ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया था। इनमें उस बिजनेसमैन के कारोबारी समूह से जुड़े कुछ शीर्ष अधिकारी भी शामिल थे।